स्वामी विवेकानंद केवल संत ही नहीं, बल्कि एक महान देशभक्त, विचारक और समाज सुधारक भी थे। उन्होंने भारतीय समाज में व्याप्त संकीर्णताओं एवं कुरीतियों का विरोध किया। वह महिला स्वतंत्रता और समानता के प्रबल पक्षधर थे। वह मानते थे कि बालक और बालिकाओं को समान शिक्षा देनी चाहिए। एक बार एक समाज सुधारक स्वामी विवेकानंद के पास गए और कहा, ‘स्वामी जी, महिलाओं के उत्थान के लिए मैं क्या करूं? मेरा मार्गदर्शन कीजिए। स्वामी जी ने कहा, ‘तुम कुछ मत करो। उन्हें स्वतंत्र छोड़ दो और उन्हें अपने निर्णय स्वयं लेने दो। यह सोच छोड़ दो कि पुरुष को स्त्री को सुधारने की जरूरत है, अगर उन्हें स्वतंत्रता और समानता मिलेगी तो वह वही करेंगी जो उनके लिए बेहतर होगा।’
प्रस्तुति : मधुसूदन शर्मा