विनोद लाहोट/निस
समालखा, 25 अप्रैल
समालखा में पिछले पांच वर्षों से बिना सरकारी मान्यता के चलाये जा रहे एक निजी स्कूल को बंद कराने के लिए शिकायतकर्ता ने शिक्षा अधिकारियों को कटघरे में खड़ा करते हुए उन्हें कानूनी नोटिस भेजा है। लीगल नोटिस जाते ही शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है। खंड शिक्षा अधिकारी ने अपने बचाव के लिए आननफानन में सर्व साधारण के नाम सूचना जारी कर दी है कि अमुक स्कूल बिना सरकारी मान्यता के चलाया जा रहा है। आप इसमें अपने बच्चों को दाखिल न करवाएं। शिक्षा विभाग अगर इस निजी स्कूल के खिलाफ कार्रवाई करता है तो इस स्कूल में शिक्षा ग्रहण कर रहे करीब 700 बच्चों का भविष्य अधर में लटक सकता है।
समालखा के शास्त्री नगर स्थित हरियाणा वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के संचालक वीरेंद्र शास्त्री ने खंड शिक्षा अधिकारी नीलम कुंडू द्वारा स्कूल के खिलाफ निकाली गई सार्वजनिक सूचना पर आपत्ति जताते हुए इसे स्कूल को बदनाम करने की साज़िश बताया है। उन्होंने बताया कि उनके पास मिडल क्लास तक स्थायी मान्यताप्राप्त है। 2019 में कक्षा नौवीं से बारहवीं तक की मान्यता रद्द हुई थी, तब से वह मिडिल क्लास तक स्कूल चला रहे हैं और सीनियर सेकेंडरी की मान्यता प्राप्त करने के लिए उन्होंने आवेदन किया हुआ है, जिसकी फीस भी जमा करा दी गई है। आचार संहिता हटने के बाद उन्हें मान्यता मिल जायेगी।
दूसरी ओर सामाजिक कार्यकर्ता एवं एडवोकेट भूपेंद्र ने जिला शिक्षा अधिकारी कुलदीप दहिया, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी राकेश बूरा व समालखा की खंड शिक्षा अधिकारी नीलम कुंडू को गत 22 अप्रैल को भेजे कानूनी नोटिस में वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के संचालक वीरेंद्र शास्त्री पर शिक्षा विभाग व माननीय हाईकोर्ट के आदेशों की अवमानना कर बिना सरकारी मान्यता के स्कूल चलाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि जो सरकारी मान्यता के दस्तावेज वीरेंद्र शास्त्री दिखा रहा है, वह फर्जी है। पानीपत जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में भी इसका कोई रिकार्ड नहीं है, फिर यह स्कूल पिछले पांच सालों से किसकी शह पर चल रहा है। उधर, वकील का लीगल नोटिस जाते ही शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है ओर अपने बचाव में खंड शिक्षा अधिकारी नीलम कुंडू ने भी तुरंत आनन-फानन में सार्वजनिक सूचना जारी करके अभिभावकों को बच्चे इस स्कूल में दाखिल न करने की अपील की है।