श्रीराम और लक्ष्मण को लेकर गुरु विश्वामित्र अयोध्या से अपने आश्रम की ओर जा रहे थे। राम लक्ष्मण के लिए पहला अवसर था कि राजमहल से निकलकर इस तरह की लंबी पदयात्रा करें। उसी समय राम को एक झरने की आवाज सुनाई दी। उत्सुक होकर पूछा, ‘गुरुदेव झरना दिखाई तो नहीं दे रहा मगर आवाज सुनाई दे रही है?’ तब विश्वामित्र ने कहा, ‘यह सुदूर सरयू नदी से निकलकर छलक रहे झरने की आवाज है। अच्छा हुआ तुमने इसे सुन लिया तुमको राजा बनना है।’ राजा को अनदेखा और अनकहा सुनने की आदत होनी चाहिए। प्रजा में कुछ ऐसा होता है जो सीधे-सीधे पढ़ा नहीं जाता। इनको समझने के लिए बहुत गहरे उतरकर दिल से सुनना होता है।
प्रस्तुति : पूनम पांडे