एक दिन बनार्ड शॉ के यहां एक भिखारी आया। भिखारी ने कहा, ‘सर! दुनिया में लोग आप के शाकाहारी होने को लेकर खूब चर्चा करते हैं। आप की इस बात की आलोचना भी होती है कि आप शाकाहारी होकर विज्ञान के नियम का उल्लंघन करते हैं। यही कि ताकतवर कमजोर को चट कर जाता है। इसलिए जो लोग मांसाहार करते हैं, उनकी खिलाफत करना क्या विज्ञान के नियम का उल्लंघन नहीं है?’ वह बोले, ‘ठीक कहते हो। हमें भी शेर के सामने खुद को प्रस्तुत कर देना चाहिए, क्योंकि शेर इनसान से कहीं ज्यादा ताकतवर है। यह तो विज्ञान के नियम के खिलाफ नहीं होगा।’ भिखारी बोला, ‘सर! इनसान के पास दुनिया की सबसे बड़ी ताकत ‘बुद्धि’ है। इसलिए यदि वह दूसरे प्राणियों को मारकर खा जाता है तो कोई गलत नहीं है। शॉ को जरूरी कार्य निपटाने थे। वे बोले, ‘तुम्हें कितना धन दे दिया जाए कि तुम ताकतवर बन जाओगे?’ भिखारी बनार्ड शॉ की गूढ़ बातें समझ नहीं पाया। वह बोला, ‘सर! मुझे धन नहीं, भोजन चाहिए।’ ‘लेकिन विज्ञान के मुताबिक तो तुम बिना ताकत बने ही भोजन हासिल कर रहे हो, क्या यह विज्ञान के नियम के मुताबिक है?’ भिखारी बोला, ‘सर! मुझे तो लगता है जो सहजता से मिल जाए वही विज्ञान का नियम होना चाहिए।’
प्रस्तुति : शकुंतला देवी