
राजेंद्र कुमार शर्मा
वैसाखी या बैसाखी शब्द वैशाखी शब्द का ही अपभ्रंश रूप है, बंगाली भाषा में इसका उच्चारण ‘बोइशाखी’ के रूप में किया जाता है। वैसाखी या वैशाखी का शाब्दिक अर्थ वैसाख माह तथा विशाखा नक्षत्र से लिया गया है। बैसाखी को पूरे उत्तर भारत में वसंत ऋतु के फसल या कृषि उत्सव के रूप में मनाया जाता है। बैसाखी के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का भी खास महत्व लगभग सभी समुदायों में है। इस दिन से पंजाबी नये साल की शुरुआत भी होती है। सिख धर्म की स्थापना और फसल पकने के प्रतीक के रूप में मनाये जाने वाले पर्व बैसाखी पर रबी की फसल पक कर तैयार हो जाती है और किसान फसल काटने की शुरुआत कर देते हैं। दरअसल, किसान फसल पकने की खुशी में यह त्योहार मनाते हैं।
13 अप्रैल, 1699 के ही दिन सिख पंथ के 10वें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। बाद में, रणजीत सिंह को 12 अप्रैल, 1801 को सिख साम्राज्य का महाराजा घोषित किया गया था। इसके साथ ही इस दिन को बतौर उत्सव मनाना शुरू किया गया था। वहीं 1919 में यह दिन अंग्रेज शासकों द्वारा जलियांवाला बाग में किये गये नरसंहार के लिए भी जाना जाता है। इस दौरान सिख श्रद्धालु कीर्तन आयोजित करते हैं, स्थानीय गुरुद्वारों व मेलों में जाते हैं, नगर कीर्तन, जुलूस आयोजित करते हैं और सामूहिक भोज, लंगर आदि का आयोजन किया जाता है।
हिंदू वैसाखी के अवसर पर गंगा, झेलम, और कावेरी जैसी पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। मान्यता है कि गंगा नदी वैसाखी के दिन ही स्वर्ग से पृथ्वी पर उतरी थी। इसीलिए इस अवसर पर एक विशाल वैसाखी मेले का आयोजन प्रमुख धार्मिक स्थल हरिद्वार में किया जाता है। कुछ हिंदुओं के लिए, वैसाख का पहला दिन पारंपरिक सौर नव वर्ष का प्रतीक है। इस दिन मंदिरों में जाने, पानी के घड़े, मौसमी फल और हाथ के पंखे दान करने का भी विशेष महत्व है। हिंदू तीर्थ स्थलों पर मेलों का आयोजन, मंदिर के देवी-देवताओं की शोभायात्रा निकाला जाना भी इस त्योहार की सुंदरता को बढ़ा देता है। वैसाखी मेले का सबसे शानदार रूप पंजाब के गुरदासपुर जिले के पंडोरी महतान गांव में भगवान नारायणजी के ठाकुरद्वारा में होता है, जहां मेला पूरे तीन दिनों तक चलता है।
देश के अन्य भागों जैसे असम में बोहाग बिहू, पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में पोहेला बोइशाख, ओडिशा में महा विशुबा संक्रांति, मिथिला में जूर शीतल में, कर्नाटक में बिसु व तमिलनाडु में पुथंडु मनाया जाता है। डोगरा समुदाय के लोग इसे शास्त्री या डोगरा-पहाड़ी कैलेंडर के नववर्ष के रूप में मनाते हैं। बैसाखी पंजाब और हरियाणा में बड़ी ही भव्यता और उत्साह के साथ मनाई जाती है। पंजाब के गांवों में बैसाखी के मौके पर पुरुष और महिलाएं मिलकर ढोल की थाप पर भांगड़ा और गिद्दा डालते हैं। धार्मिक महत्व के साथ-साथ बैसाखी के त्योहार को एक फसली त्योहार के रूप में मनाया जाता है। विशेषकर उत्तर भारत में मार्च माह में गेहूं और सरसों की फसल खलिहानों में पक कर तैयार होती है। उत्सव का माहौल स्वाभाविक तौर पर ही उल्लासमय बन जाता है क्योंकि किसान को अपनी मेहनत का फल मिलने का समय होता है।
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