ईश्वरचंद्र विद्यासागर फोर्ट विलियम कॉलेज में हिंदी के शिक्षक थे। अंग्रेज हिंदी को उपेक्षा की दृष्टि से देखते थे, इसलिए हिंदी की परीक्षा में फेल होने के कारण उन्हें नौकरी नहीं मिल पाती थी। एक दिन अंग्रेज प्रिंसिपल ने उन्हें बुलाया और कहा कि थोड़ी-सी हिंदी न आने पर अंग्रेजों को आप फेल कर देते हैं, इसलिए उन्हें नौकरी नहीं मिल पाती। आप हिंदी की परीक्षा में अंग्रेजों से थोड़ी नरमी बरता करें। पूर्णतः निडर विद्यासागर बोले, ‘मेरे लिए ऐसा करना बहुत कठिन है। ऐसा करने के लिए सत्य और न्याय का गला घोंटना पड़ेगा, जो मैं कभी नहीं कर पाऊंगा।’ अंग्रेज प्रिंसिपल उनके उत्तर से बहुत प्रसन्न हुए।
प्रस्तुति : योगेन्द्र नाथ शर्मा ‘अरुण’