एक बार स्वामी विवेकानंद हिमालय की यात्रा पर थे तभी उन्होंने वहां एक वृद्ध आदमी को देखा जो बिना कोई आशा लिये अपने पैरों और आगे जाने वाले रास्ते की तरफ देख रहा था। तभी उस वृद्ध ने स्वामीजी से कहा, ‘स्वामीजी, इस दूरी को कैसे पार किया जाये, अब मैं और नहीं चल सकता, मेरी छाती में दर्द हो रहा है।’ स्वामीजी शांति से उस इंसान की बातों को सुन रहे थे। उन्होंने जवाब दिया कि, ‘नीचे अपने पैरों की तरफ देखो। तुम्हारे पैरों के नीचे जो रास्ता है, यह वो रास्ता है जिसे तुमने पार कर लिया है और यह वही रास्ता था जो पहले तुमने अपने पैरों के आगे देखा था, अब आगे आने वाला रास्ता भी जल्द ही तुम्हारे पैरों के नीचे होगा।’ स्वामीजी के इन शब्दों ने उस वृद्ध के लिए नई ऊर्जा का काम किया और वह अपनी आगे की राह पर बढ़ चला।
प्रस्तुति : अक्षिता तिवारी