गाजियाबाद, 16 जून (एजेंसी)
उत्तर प्रदेश पुलिस ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो प्रसारित करने के सिलसिले में माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर, एक समाचार पोर्टल और 6 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। यह देश में ट्विटर के खिलाफ पहला केस है। आईटी नियमों का पालन न करने और नये दिशानिर्देशों के तहत अनिवार्य प्रमुख कर्मियों की नियुक्ति नहीं किये जाने के कारण भारत में ट्विटर का मध्यस्थ का दर्जा और उसे मिला कानूनी संरक्षण खत्म हो गया है। अब ट्विटर पर प्रकाशित हर सामग्री के लिए उसकी आपराधिक जिम्मेदारी तय की जा सकती है।
जिस वीडियो को लेकर कार्रवाई की गयी है, उसमें एक मुस्लिम बुजुर्ग गाजियाबाद में कुछ लोगों के कथित हमले के बाद अपनी व्यथा सुनाता दिख रहा है। पुलिस का कहना है कि यह वीडियो साम्प्रदायिक तनाव पैदा करने के लिए साझा किया गया। गाजियाबाद के लोनी बॉर्डर पुलिस थाने में एक स्थानीय पुलिसकर्मी ने शिकायत दर्ज कराई और उसके आधार पर मंगलवार रात करीब 11.30 बजे ट्विटर इंक, ट्विटर कम्युनिकेशंस इंडिया, समाचार वेबसाइट द वायर, पत्रकार मोहम्मद जुबैर और राणा अय्यूब, कांग्रेस के नेताओं सलमान निजामी, मश्कूर उस्मानी, डॉ. शमा मोहम्मद और लेखिका सबा नकवी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की। प्राथमिकी में कहा गया है, ‘इन लोगों ने मामले की सच्चाई की पुष्टि नहीं की और सार्वजनिक शांति को बाधित करने एवं धार्मिक समूहों के बीच विभाजन के इरादे से इसे साम्प्रदायिक रंग देकर ऑनलाइन साझा किया। ट्विटर ने भी इन ट्वीट को हटाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया।’
सोशल मीडिया पर 14 जून को सामने आए वीडियो में बुजुर्ग मुस्लिम व्यक्ति अब्दुल समद सैफी ने आरोप लगाया कि कुछ युवकों ने उनकी पिटाई की और उनसे ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने के लिए कहा, लेकिन गाजियाबाद पुलिस ने घटना के पीछे कोई साम्प्रदायिक कारण होने से इनकार किया। पुलिस के अनुसार आरोपी उस ताबीज से नाखुश थे, जो सैफी ने उन्हें बेचा था। पुलिस ने सैफी पर हमला करने के आरोप में 3 लोगों को गिरफ्तार किया है। चार अन्य लोगों की तलाश की जा रही है।
जानबूझकर की गयी आईटी नियमों की अवहेलना : प्रसाद
नयी दिल्ली (एजेंसी) : केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बुधवार को कहा कि ट्विटर ‘मध्यस्थ नियमों’ का पालन करने में विफल रहा। उसने कई अवसर मिलने के बाद भी जानबूझकर इनका पालन न करने का रास्ता चुना। प्रसाद ने कहा, यह आश्चर्यजनक है कि स्वयं को अभिव्यक्ति की आजादी के ध्वजवाहक के रूप में पेश करने वाला ट्विटर, जब जानबूझ कर अवज्ञा का रास्ता चुनता है। प्रसाद ने स्वेदशी सोशल मीडिया मंच ‘कू’ पर सिलसिलेवार पोस्ट में कहा, ‘इस बात को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं कि क्या ट्विटर संरक्षण प्रावधान का हकदार है। इस मामले का सामान्य तथ्य यह है कि ट्विटर 26 मई से लागू हुए मध्यस्थ दिशानिर्देशों का पालन करने में विफल रहा है।’ मंत्री ने इस संबंध में ट्वीट भी किया। उन्होंने कहा, ‘ट्विटर अपने यूजर्स की शिकायतें दूर करने में विफल रहा है। इसके अलावा, अपनी पसंद-नापसंद के आधार पर ट्वीट को ‘मैनिपुलेटेड मीडिया’ (छेड़छाड़ किया हुआ) करार देता है।’ मंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश में जो कुछ भी हुआ वह फर्जी खबरों से निपटने के ट्विटर के ‘मनमानेपन’ का उदाहरण था।