पुरुषोत्तम शर्मा/हप्र
सोनीपत, 14 जनवरी
तीन कृषि कानूनों को रद्द कराने के लिए 50 दिन से कुंडली बार्डर पर धरनारत किसानों और सरकार के बीच शुक्रवार को नौवें दौर की बातचीत होगी। उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट के दखल और किसानों के उग्र तेवर को देखते हुए सरकार इस बैठक में समाधान की ओर आगे बढ़े। किसानों का कहना है कि वह जो कहना चाहते थे, कह चुके हैं। अब तो गेंद केंद्र सरकार के पाले में है, वह कानून रद्द कर दे, किसान अपने घर लौट जाएंगे।
इसके साथ ही एक सच यह भी है कि अगर बैठक में हल निकलता नहीं दिखा, तो 17 को संयुक्त मोर्चा की बैठक आहूत है। इस बैठक में किसान 26 जनवरी को ट्रैक्टर तिरंगा परेड को लेकर रूट प्लान और रणनीति पर मंथन करेंगे। संभव है कि इसी दिन किसानों की ओर से इस परेड का प्रारूप भी घोषित कर दिया जाए। किसानों ने इस बीच यह संकेत दिया है कि वह आंदोलन जरूर जारी रखेंगे, पर इसका मतलब यह नहीं है कि बातचीत का रास्ता बंद करेंगे।
अगर सरकार सकारात्मक रुख अपनाती है, तो वह बातचीत के लिए आगे भी तैयार हैं। लेकिन एजेंडा एक ही है कि तीनों कानून रद्द हों और एमएसपी पर लिखित में कानूनी गारंटी मिले। यह दो मांगें सरकार पूरी कर दे, किसान उनका धन्यवाद करते हुए अपने घर चले जाएंगे। किसान नेताओं का कहना है कि अगर ऐसा नहीं होता है, तो 26 जनवरी तक का आंदोलन पहले से घोषित है। आगे का आंदोलन इसके बाद तय हो जाएगा। किसान बार्डर तब तक नहीं छोड़ेंगे, जब तक की तीनों कानून वापस नहीं होते हैं।
किसान नेता शमशेर सिंह दहिया, रतन मान, गुरनाम सिंह चढूनी व अन्य का कहना है कि इसमें कोई लंबा-चौड़ा विषय नहीं है। सरकार को बस कानून वापसी करनी है और एमएसपी पर गारंटी देनी है। ये दोनों ही मांग मुख्य हैं और इनको लेकर कल शुक्रवार को वार्ता के लिए किसान जाएंगे। लेकिन किसान अबकी बार बेवजह समय जाया नहीं करेंगे। सरकार से दो हरफी बात करनी है कि हां या न।
खुले मन से होगी बातचीत : तोमर
नयी दिल्ली (एजेंसी): केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि किसान संगठनों और सरकार के बीच वार्ता तय कार्यक्रम के तहत शुक्रवार को होगी। केंद्र को उम्मीद है कि चर्चा सकारात्मक होगी। सरकार खुले मन से किसान नेताओं के साथ बातचीत करने को तैयार है। तोमर ने कहा कि सरकार और किसान प्रतिनिधियों के बीच शुक्रवार को दिन में 12 बजे से बैठक होगी।
अन्ना ने मोदी को लिखा पत्र
सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा और अपना फैसला दोहराया कि वह जनवरी के अंत में दिल्ली में किसानों के मुद्दे पर अंतिम भूख हड़ताल करेंगे।