नयी दिल्ली, 10 अगस्त (एजेंसी)
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण और पत्रकार तरुण तेजपाल के खिलाफ 2009 के आपराधिक अवमानना मामले में और सुनवाई की जरूरत है, जिससे यह देखा जा सके कि जजों के खिलाफ भ्रष्टाचार की टिप्पणी अवमानना है या नहीं। जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की 3 सदस्यीय पीठ ने कहा कि अवमानना के मामले में आगे सुनवाई की जरूरत है। पीठ इस मामले में अब 17 अगस्त को सुनवाई करेगी। शीर्ष अदालत ने नवंबर 2009 में एक समाचार पत्रिका के साक्षात्कार में शीर्ष अदालत के कुछ मौजूदा एवं पूर्व जजों पर कथित तौर पर आक्षेप लगाने के लिए भूषण और तेजपाल को अवमानना नोटिस जारी किये थे। तेजपाल तब इस पत्रिका के संपादक थे। शीर्ष अदालत ने 4 अगस्त को इस मामले की सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण और तेजपाल को स्पष्ट किया था कि अगर उसने इस मामले में उनका स्पष्टीकरण या माफी स्वीकार नहीं करती है तो वह आगे सुनवाई करेगी। पीठ ने अपने पिछले हफ्ते के आदेश में कहा था कि प्रतिवादी संख्या एक- प्रशांत भूषण और प्रतिवादी संख्या दो- तरुण तेजपाल द्वारा सौंपा गया स्पष्टीकरण या माफी अब तक प्राप्त नहीं हुई है। अगर हमें स्पष्टीकरण या माफी प्राप्त नहीं होती तो हम मामले को सुनेंगे। हम आदेश सुरक्षित रखते हैं। पिछले हफ्ते वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए हुई संक्षिप्त सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा था कि वह बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को प्रतिबंधित नहीं करना चाहती है, लेकिन अवमानना के संबंध में इसमें बहुत बारीक सा भेद होता है। शीर्ष अदालत ने 22 जुलाई को, न्यायपालिका के खिलाफ भूषण के कथित अपमानजनक ट्वीट के लिए उनके खिलाफ अलग से स्वत: संज्ञान लेते हुए शुरू की गई अवमानना की कार्यवाही में नोटिस जारी किया था और कहा था कि उनका बयान प्रथम दृष्टया न्याय के प्रशासन को बदनाम करता है। सुप्रीम कोर्ट ने 5 अगस्त को भूषण के खिलाफ अवमानना मामले में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।