नयी दिल्ली, 22 सितंबर (एजेंसी)
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की अगुवाई में कई एजेंसियों ने बृहस्पतिवार सुबह 11 राज्यों में एक साथ छापे मारे और देश में आतंकी फंडिंग में कथित तौर पर शामिल पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के 106 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया। एनआईए ने इसे अब तक का सबसे बड़ा जांच अभियान करार दिया। इस बीच कई जगह पर विरोध प्रदर्शन भी हुए। पीएफआई ने केरल में 23 सितंबर को हड़ताल का आह्वान किया है।
अधिकारियों के मुताबिक, आतंकवादियों को कथित तौर पर धन मुहैया कराने, उनके लिए ट्रेनिंग की व्यवस्था करने और लोगों को प्रतिबंधित संगठनों से जुड़ने के लिए बरगलाने में कथित तौर पर शामिल व्यक्तियों के परिसरों पर छापे मारे जा रहे हैं। सबसे अधिक 22 गिरफ्तारियां केरल में हुईं। महाराष्ट्र और कर्नाटक में 20-20, तमिलनाडु में 10, असम में 9 और उत्तर प्रदेश में 8 लोगों को गिरफ्तार किया गया। आंध्र प्रदेश (5), मध्य प्रदेश (4), पुडुचेरी (3), दिल्ली (3) और राजस्थान (2) में भी गिरफ्तारियां हुईं। अधिकारियों ने कहा कि एनआईए, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और 11 राज्यों के पुलिस बल ने गिरफ्तारियां की हैं।
ईडी देश में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम विरोधी प्रदर्शनों, फरवरी 2020 में हुए दिल्ली दंगों, उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में कथित गैंगरेप मामले के बाद सांप्रदायिक दंगे भड़काने की साजिश रचने समेत कुछ अन्य आरोपों को लेकर पीएफआई के कथित ‘वित्तीय संबंधों’ की तफ्तीश कर रही है। जांच एजेंसी ने लखनऊ में विशेष अदालत में पीएफआई और उसके पदाधिकारियों के खिलाफ दो आरोपपत्र दाखिल किए हैं।
शाह ने की उच्च स्तरीय बैठक
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बृहस्पतिवार को एक उच्च स्तरीय बैठक की। अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला, एनआईए के महानिदेशक दिनकर गुप्ता समेत शीर्ष अधिकारी इस बैठक में शामिल हुए। एक अधिकारी के मुताबिक, समझा जाता है कि शाह ने आतंकवाद के संदिग्धों और पीएफआई कार्यकर्ताओं के खिलाफ देशभर में की गयी कार्रवाई का जायजा लिया।
केरल में बना था संगठन, दिल्ली में मुख्यालय
पीएफआई की स्थापना 2006 में केरल में की गई थी। इसका मुख्यालय दिल्ली में है। यह संगठन भारत में हाशिये पर पड़े वर्गों के सशक्तीकरण के लिए नव सामाजिक आंदोलन चलाने का प्रयास करने का दावा करता है। पीएफआई ने एक बयान जारी कर कहा, ‘पीएफआई के राष्ट्रीय, राज्य स्तरीय और स्थानीय नेताओं के ठिकानों पर छापे मारे जा रहे हैं। राज्य समिति के कार्यालय की भी तलाशी ली जा रही है। हम फासीवादी शासन द्वारा असंतोष की आवाज को दबाने के लिए एजेंसियों का दुरुपयोग किए जाने का कड़ा विरोध करते हैं।’