नयी दिल्ली, 27 जनवरी (एजेंसी)
भारत ने सिंधु जल संधि में संशोधन के लिए पाकिस्तान को नोटिस भेजा है। यह नोटिस इस्लामाबाद द्वारा इस संधि को लागू करने को लेकर अपने रुख पर अड़े रहने के कारण जारी किया गया है। सरकारी सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। सूत्रों ने बताया कि यह नोटिस सिंधु जल संबंधी आयुक्तों के माध्यम से 25 जनवरी को भेजा गया। यह इसलिए भेजा गया है ताकि 19 सितंबर 1960 को किये गए इस समझौते में बदलाव को लेकर प्रक्रिया शुरू की जा सके। एक सूत्र ने बताया कि संधि में बदलाव के लिये नोटिस देने का मकसद पाकिस्तान को संशोधन से 90 दिनों के भीतर अंतर सरकारी वार्ता करने का अवसर प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया से पिछले 62 वर्षों में लिये गए सबक को सिंधु जल संधि का उन्नयन करते हुए शामिल किया जा सकेगा। गौरतलब है कि भारत और पाकिस्तान ने नौ वर्षों की वार्ता के बाद 1960 में संधि पर हस्ताक्षर किये थे। विश्व बैंक भी इस संधि के हस्ताक्षरकर्ताओं में शामिल था। संधि के मुताबिक पूर्वी नदियों का पानी, कुछ अपवादों को छोड़ दें तो भारत बिना रोकटोक के इस्तेमाल कर सकता है। भारत से जुड़े प्रावधानों के तहत रावी, सतलुज और ब्यास नदियों के पानी का इस्तेमाल परिवहन, बिजली और कृषि के लिए करने का अधिकार भारत को दिया गया। समझा जाता है कि भारत द्वारा पाकिस्तान को यह नोटिस किशनगंगा और रातले पनबिजली परियोजनाओं से जुड़े मुद्दे पर मतभेद के समाधान को लेकर पड़ोसी देश के अपने रुख पर अड़े रहने के मद्देनजर भेजा गया है।
ऐसे किया उल्लंघन
वर्ष 2015 में पाकिस्तान ने भारतीय किशनगंगा और रातले पनबिजली परियोजनाओं पर तकनीकी आपत्तियों की जांच के लिये तटस्थ विशेषज्ञ की नियुक्ति करने का आग्रह किया था। वर्ष 2016 में पाकिस्तान इस आग्रह से एकतरफा ढंग से पीछे हट गया और इन आपत्तियों को मध्यस्थता अदालत में ले जाने का प्रस्ताव किया।