नयी दिल्ली, 23 अक्तूबर (एजेंसी) कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने किसानों की समस्याएं, महंगाई और सीमा से जुड़े मुद्दों को लेकर शनिवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि केंद्र सरकार नाकाम थी, नाकाम है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘किसान परेशान है, महंगाई पहुंची आसमान है, सीमाओं पर घमासान है, भारत तो तब भी महान है, पर केंद्र सरकार नाकाम थी, नाकाम है।’ उधर, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने उत्तर प्रदेश के ललितपुर में खाद के लिए कतार में खड़े हुए किसान की मौत से जुड़ी खबर को लेकर प्रदेश की भाजपा पर निशाना साधा। उन्होंने ट्वीट किया, ‘धान खरीदारी में कुव्यवस्था के चलते लखीमपुर के एक किसान को मंडी में पड़े धान में आग लगानी पड़ी। खाद वितरण में कुव्यवस्था के चलते ललितपुर के एक किसान की लाइन में खड़े-खड़े मृत्यु हो गई। उप्र की भाजपा सरकार किसानों को प्रताड़ित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है।’
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।