चंडीगढ़, 5 मार्च (एजेंसी)सदन में हंगामे के बाद अकाली दल के विधायक पंजाब विधानसभा के शेष बचे बजट सत्र तक के लिए निलंबित कर दिये गये हैं। स्पीकर राणा केपी सिंह ने अकाली दल के सभी विधायकों को निलंबित करने और उन्हें बजट सत्र के शेष भाग के लिए सदन से बाहर रहने का आदेश दिया जिसके बाद विधानसभा में हंगामा हो गया। हंगामे के तुरंत बाद सदन को स्थगित कर दिया गया। हालांकि, अकाली दल के विधायकों ने बाहर जाने से इनकार कर दिया और सदन के वेल में धरने पर बैठ गये। पुलिसकर्मियों को सदन छोड़ने के लिए उनकी विनती करनी पड़ी, लेकिन विधायकों ने जाने से इनकार कर दिया और नारे लगाना जारी रखा। तब पुलिस को अकाली विधायकों को उठाकर सदन से बाहर ले जाना पड़ा। पवन कुमार टीनू को पुलिस ने सदन से बाहर धकेला मगर उन्होंने फिर से विधानसभा में प्रवेश करने की कोशिश की। इससे पहले विधायक भोलानाथ और पूर्व नेता प्रतिपक्ष सुखपाल खैरा ने सिंघु सीमा पर एक किसान प्रदर्शनकारी रंजीत सिंह के खिलाफ कथित पुलिस बर्बरता का मुद्दा उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें किसानों के शिविर से उठाया गया और आरएसएस और भाजपा के लोगों की कथित मदद से हिरासत में लिया गया। इस बीच, राज्यपाल के अभिभाषण पर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के जवाब के दौरान अकाली विधायकों ने नारे लगाए और वॉकआउट किया। बाद में आप विधायक भी उनके साथ हो लिए। सभी विधायकों ने सदन के वेल में हंगामा किया और जिसे सदन को 15 मिनट के लिए स्थगित कर दिया गया।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।