सूरत, 29 सितंबर (एजेंसी) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि डायमंड रिसर्च एंड मर्केंटाइल (ड्रीम) सिटी परियोजना पूरी होने के बाद सूरत, विश्व के सबसे सुरक्षित और सुविधाजनक हीरा व्यापार के केंद्र के रूप में विकसित होगा। प्रधानमंत्री ने यहां 3400 करोड़ रुपये से अधिक की विभिन्न परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण करने के बाद अपने संबोधन में कहा कि सूरत के कपड़ा और हीरा कारोबार से देश भर के अनेक परिवारों का जीवन चलता है। उन्होंने कहा, ‘ड्रीम सिटी परियोजना जब पूरा हो जाएगी तो सूरत, विश्व के सबसे सुरक्षित और सुविधाजनक डायमंड ट्रेडिंग केंद्र के रूप में विकसित होगा।’ प्रधानमंत्री ने इससे पहले, ड्रीम सिटी के मुख्य प्रवेश द्वार का उद्घाटन किया। ड्रीम सिटी परियोजना को सूरत में हीरा कारोबार के तेजी से विकास को बढ़ावा देने के लिए वाणिज्यिक और आवासीय स्थान की बढ़ती मांग को पूरा करने के दृष्टिकोण के साथ शुरू किया गया है। प्रधानमंत्री ने परियोजना के दूसरे चरण की आधारशिला भी रखी। मोदी ने कहा कि सूरत शहर लोगों की एकजुटता और जनभागीदारी का बहुत ही शानदार उदाहरण है और हिन्दुस्तान का कोई प्रदेश ऐसा नहीं होगा, जहां के लोग सूरत में न रहते हों। उन्होंने कहा, ‘सूरत की सबसे बड़ी खासियत ये है कि ये शहर श्रम का सम्मान करने वाला शहर है।’ आयुष्मान भारत योजना का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके तहत देश में अभी तक लगभग 4 करोड़ गरीब मरीजों को मुफ्त इलाज मिल चुका है और इसमें से 32 लाख से अधिक मरीज गुजरात के हैं और लगभग सवा लाख सूरत से हैं। उन्होंने कहा कि बीते दो दशकों से विकास के जिस पथ पर सूरत चल पड़ा है, वह आने वाले सालों में और तेज होने वाला है।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।