भले ही कुछ विलंब से ही सही, देश के आठ शहरों में पांचवीं पीढ़ी की फाइव-जी मोबाइल सेवा की औपचारिक शुरुआत हो गई। उम्मीद है कि अगले साल के अंत तक शेष देश में यह सेवा विस्तार पा ले। लेकिन यह तय है कि अल्ट्रा हाई स्पीड इंटरनेट सेवा देश के सामाजिक, आर्थिक, औद्योगिक, चिकित्सा व शैक्षिक क्षेत्र में बड़े बदलावों की वाहक बनेगी। वैसे एक बड़ी कंपनी ने चुनिंदा शहरों में 5-जी शुरुआत के साथ ही मार्च 2024 तक पूरे देश में सेवा देना का भरोसा दिया है। वहीं दूसरी सबसे बड़ी कंपनी ने सबसे सस्ती सेवा के वायदे के साथ अगले साल दिसंबर तक पूरे देश में सेवा देना का वायदा किया है। दावा है कि नयी सेवा से इंटरनेट की स्पीड दस गुना से अधिक हो जायेगी, जो कालांतर ऑटोमेशन, ई-मेडिसिन, शिक्षा व कृषि आदि क्षेत्रों में बदलावकारी परिवर्तन लायेगी। वहीं कृत्रिम बुद्धिमत्ता, रोबोट निर्माण से जुड़े उद्योगों के साथ ही प्रशासन में इंटरनेट की बड़ी भूमिका हो जाएगी। निस्संदेह नयी सेवा की स्थापना में बड़ी लागत आयेगी। स्पेक्ट्रम की नीलामी लागत भी मायने रखेगी, फिर मुनाफे की सोच के साथ इस सेवा की कीमत का निर्धारण होगा। बहुत संभव है कि शुरुआती दौर में आम आदमी को सेवा महंगी मिले। यदि कारोबार में किसी बड़ी कंपनी का वर्चस्व रहेगा तो वह मनमानी कीमतें निर्धारण का प्रयास करेगी। बहरहाल, देर-सवेर आम उपभोक्ता को प्रत्यक्ष व परोक्ष लाभ जरूरी मिलेगा।
वहीं सरकार भी कह रही है कि तीव्र गति की मोबाइल इंटरनेट सेवा का लाभ आम भारतीय तक पहुंचाना ही उसका लक्ष्य है। सरकार चाहती है कि नयी पीढ़ी इस सेवा के बहुआयामी पक्षों का उपयोग करे। एक सर्वे बताता है कि देश के करीब दस करोड़ उपभोक्ता 5-जी सेवा के उपयोग के लिये तैयार हैं। वहीं सरकार का दावा है कि वर्ष 2035 तक देश की अर्थव्यवस्था में इस सेवा का प्रभाव चार सौ पचास अरब डॉलर तक का होगा। निस्संदेह, अब देश में उपभोक्ताओं को 5-जी क्षमता वाले स्मार्ट फोन की जरूरत होगी, जिसकी कीमत अभी काफी ज्यादा है। इस सेवा से जुड़ने की भारतीयों की ललक बताती है कि मांग-आपूर्ति का संतुलन इसकी कीमतों में कमी लायेगा। खासकर युवा पीढ़ी में इस सुपरफास्ट इंटरनेट से जुड़ने की तीव्र इच्छा है। ताकि अपनी पसंद की सूचनाएं डाउनलोड करने में सुविधा हो सकेगी। कुछ विशेषज्ञ इस तकनीक से नाटकीय बदलावों की बात करते हैं। मसलन बिना ड्राइवर की गाड़ियां सड़क पर नजर आने तथा चिकित्सक द्वारा दूर से सर्जरी करने का हकीकत बनना भी संभव हो सकेगा। लेकिन इसके साथ कई तरह की चुनौतियां भी सामने हैं, मसलन सेवा के क्रियान्वयन में बड़े निवेश की भी आवश्यकता होगी और नये सिरे से इसका तंत्र विकसित करना होगा। वहीं साधारण उपभोक्ता के लिये थ्री-जी व फोर जी सेवा को भी सुचारू रखने की जरूरत होगी। सरकार से ऐसे फैसलों की उम्मीद है जिससे आम आदमी फाइव-जी मोबाइल व सेवा की कीमत आसानी से चुका सके।