ढाका, 16 दिसंबर (एजेंसी)राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान भारत और बांग्लादेश के सशस्त्र बलों के संयुक्त बलिदान की याद में यहां अपने समकक्ष अब्दुल हामिद को उस युद्ध के दौरान इस्तेमाल किए गए मिग 21 विमान की प्रतिकृति भेंट की। राष्ट्रपति कोविंद बृहस्पतिवार को विजय दिवस की 50वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में बांग्लादेश में आयोजित कार्यक्रम में भाग लेने के लिए तीन दिवसीय राजकीय यात्रा पर आए हैं। वह इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि हैं। कोविड-19 महामारी के प्रकोप के बाद से यह उनकी पहली विदेश यात्रा है। विदेश सचिव हर्षवर्धन शृंगला ने कहा, ‘मूल विमान को बांग्लादेश राष्ट्रीय संग्रहालय में स्थापित किया गया है। यह भारतीय सशस्त्र बलों के उन 1660 से अधिक जवानों की याद में भी है, जिन्होंने बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम में एक साझा उद्देश्य के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।’ घनिष्ठ संबंधों को प्रदर्शित करते हुए भारत 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की 50वीं वर्षगांठ पर कई कार्यक्रमों का आयोजन भी कर रहा है। इसी युद्ध के बाद बांग्लादेश अस्तित्व में आया था। विदेश सचिव ने बुधवार रात यहां एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि राष्ट्रपति कोविंद ने बांग्लादेश को बापू बंगबंधु डिजिटल प्रदर्शनी उपहार में देने की भी घोषणा की है, जिसे अब मुक्ति संग्राम संग्रहालय में रखा जाएगा। भारत सरकार ने बांग्लादेश के मुक्तियोद्धाओं के आश्रितों के लिए ‘नूतन भारत-बांग्लादेश मैत्री मुक्तियोद्धा सनातन छात्रवृत्ति योजना’ की समीक्षा करने का भी निर्णय लिया है। शृंगला ने कहा, ‘यह योजना अप्रैल 2017 में प्रधानमंत्री शेख हसीना की भारत यात्रा के दौरान शुरू की गई थी।’ इस योजना के दौरान भारत सरकार ने मुक्तियोद्धा के आश्रितों के लिए पांच वर्षों से अधिक समय के लिए 10,000 से अधिक छात्रवृत्ति को मंजूरी दी थी।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।