नयी दिल्ली, 15 मई (एजेंसी)
दुनिया भर में प्रति वर्ष करीब 1.53 लाख लोगों की मौत भीषण गर्मी या लू के कारण होती है। इनमें से सबसे ज्यादा 20 फीसदी मौतें भारत में होती हैं। एक अध्ययन से यह जानकारी मिली। पिछले 30 वर्षों से अधिक के आंकड़ों के आधार पर यह अध्ययन किया गया। भारत के बाद चीन और रूस का स्थान है, जिनमें से प्रत्येक में क्रमशः लगभग 14 फीसदी और 8 फीसदी मौतें भीषण गर्मी से जुड़ी होती हैं।
मोनाश विश्वविद्यालय, ऑस्ट्रेलिया के नेतृत्व में किए गए अध्ययन में पाया गया कि लू से जुड़ी मौतें गर्मी से संबंधित सभी मौतों का लगभग एक तिहाई और वैश्विक स्तर पर कुल मौतों का एक प्रतिशत है। शोधकर्ताओं ने यह भी पाया है कि हर साल गर्मियों में होने वाली कुल 1.53 लाख अतिरिक्त मौतों में से लगभग आधी एशिया में और 30 प्रतिशत से अधिक यूरोप में होती हैं। इसके अलावा, सबसे बड़ी अनुमानित मृत्यु दर (जनसंख्या के अनुपात में मृत्यु) शुष्क जलवायु और निम्न-मध्यम आय वाले क्षेत्रों में देखी गई।
हर दशक में 0.35 डिग्री बढ़ा पारा
अध्ययन में 2019 तक के दशक की तुलना 1999 तक के दशक से करने पर, दुनिया भर में हर साल भीषण गर्मी की अवधि औसतन 13.4 से 13.7 दिनों तक बढ़ी हुई पाई गई। इसमें हर दशक में वातावरण का औसत तापमान 0.35 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया।