नयी दिल्ली, 15 मई (एजेंसी)
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र से कहा कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के सभी मामलों में गिरफ्तारी की कोई जरूरत नहीं है और ऐसा तभी किया जा सकता है जब दोष साबित करने के लिए पक्के सबूत और ठोस सामग्री हो। जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने सीमा शुल्क अधिनियम और जीएसटी अधिनियम से संबंधित प्रावधानों की संवैधानिक वैधता और व्याख्या को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा कि गिरफ्तारी की शक्ति गिरफ्तारी की जरूरत से अलग है।
पीठ ने सरकार की तरफ से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से कहा, ‘कानून यह नहीं कहता है कि जांच पूरी करने के लिए आपको गिरफ्तार करने की जरूरत है। कानून का यह उद्देश्य नहीं है। जीएसटी के हरेक मामले में आपको गिरफ्तारी की जरूरत नहीं है। यह कुछ विश्वसनीय साक्ष्य और ठोस सामग्री पर आधारित होनी चाहिए।’
जीएसटी कानून के तहत गिरफ्तारी के प्रावधानों पर राजू से कई सवाल पूछने वाली पीठ ने कहा कि कानून ने खुद ही स्वतंत्रता को ऊंचे मुकाम पर रखा है और इसे कमजोर नहीं किया जाना चाहिए। इस पर अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘गिरफ्तारी केवल संदेह पर आधारित नहीं, यह तभी की जाती है जब यह मानने के कई कारण हों कि यह किसी गंभीर अपराध के घटित होने का संकेत दे रहा है।’ उन्होंने कहा कि विश्वास करने का कारण अपराध किए जाने की सख्त व्याख्या पर आधारित नहीं हो सकता है।
इस दलील पर पीठ ने कहा, ‘इस संबंध में निर्णय गिरफ्तारी से पहले होना चाहिए।’ पीठ ने कहा कि वह सीमा शुल्क अधिनियम और जीएसटी अधिनियम के तहत ‘विश्वास करने के कारण’ और ‘गिरफ्तारी के आधार’ के सवाल की जांच करेगी।
याचिकाकर्ताओं ने सीमा शुल्क अधिनियम और जीएसटी अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती देते हुए कहा है कि दोनों कानूनों के तहत गिरफ्तारी प्रावधानों का घोर दुरुपयोग किया जा रहा है। उन्होंने धमकाए जाने और उचित प्रक्रिया का पालन किए बगैर भुगतान के लिए मजबूर किए जाने का आरोप भी लगाया है।