नयी दिल्ली, 26 अप्रैल (एजेंसी)केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दो गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) ‘कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनीशिएटिव’ (सीएचआरआई) और ‘अपने आप वुमेन वर्ल्डवाइड’ (एएडब्ल्यूडब्ल्यू) का एफसीआरए लाइसेंस रद्द कर दिया है। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी देते हुए कहा कि दोनों एनजीओ विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम 2010 के तहत अनिवार्य वार्षिक वित्तीय विवरण दाखिल करने में विफल रहे। अधिकारियों के अनुसार, गृह मंत्रालय ने यह भी पाया है कि गैर सरकारी संगठनों ने विदेशी चंदे के रूप में प्राप्त धन की कथित तौर पर हेराफेरी की। सीएचआरआई की वेबसाइट के अनुसार, यह राष्ट्रमंडल देशों में सरकार और अन्य सार्वजनिक निकायों से जानकारी प्राप्त करने के लिए लोगों के बुनियादी मानव अधिकार की प्राप्ति के क्षेत्र में काम करता है। वहीं, एएडब्ल्यूडब्ल्यू की स्थापना मुंबई के एक रेडलाइट इलाके में 22 महिलाओं ने की थी। इसकी वेबसाइट के अनुसार, यह संगठन देह व्यापार के लिए महिलाओं की खरीद-फरोख्त का विरोधी है और उनकी मदद के लिए काम करता है। वर्ष 2017 से 2021 तक सरकार ने करीब 1900 गैर सरकारी संगठनों का एफसीआरए के तहत पंजीकरण रद्द किया है।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।