श्रीनगर, 14 मई (एजेंसी)
भारत के चीफ जस्टिस (सीजेआई) एनवी रमण ने शनिवार को जिला स्तर की न्यायपालिका से आग्रह किया कि वादियों को ‘वैकल्पिक विवाद निवारण’ (एडीआर) तंत्र का विकल्प चुनने के लिए राजी करें, जिससे अदालतों के समक्ष लंबित मामलों की संख्या कम करने में मदद मिलेगी। सीजेआई ने यहां एक समारोह में कहा, ‘मैं विशेष तौर पर जिला न्यायपालिका से इसे हमेशा ध्यान में रखने का आग्रह करता हूं। आप जमीनी स्तर पर हैं और न्यायिक व्यवस्था से न्याय की चाहत रखने वालों के लिए पहला सम्पर्क बिंदु हैं। आपका लोगों के साथ सीधा संबंध है। आपको एडीआर विकल्प के चयन के लिए पक्षकारों को राजी करना होगा।’
सीजेआई रमण ने कहा कि इससे न केवल वादी पक्षों को मदद मिलेगी, बल्कि लंबित मामलों को कम करने में भी सहायता मिलेगी। उन्होंने कहा, ‘हमारे राष्ट्रीय और राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण इस (एडीआर) क्षेत्र में सक्रिय हैं। आपको जरूरतमंदों तक पहुंचने के लिए इसका सबसे अच्छा उपयोग करना चाहिए।’ सीजेआई ने कहा, ‘वादी निरक्षर हो सकते हैं, कानून से अनजान हो सकते हैं और उनके पास विभिन्न वित्तीय समस्याएं हो सकती हैं। आपको उन्हें सहज महसूस कराने का प्रयास करना चाहिए।’
सतर्क बार एक बड़ी संपत्ति
प्रधान न्यायाधीश ने वकीलों को संबोधित करते हुए कहा कि एक सतर्क बार न्यायपालिका के लिए एक बड़ी संपत्ति है। उन्होंने कहा, ‘वकीलों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पेशेवर मानकों को बनाए रखा जाए और कानूनी नैतिकता तार-तार न हो।’ सीजेआई ने कहा कि अधिवक्ता की सहायता के बिना कोई अच्छा निर्णय नहीं हो सकता। बेंच और बार के बीच संबंध न्याय प्रदान करने की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सीजेआई ने उम्मीद जताई कि सभी आधुनिक सुविधाओं के साथ 310 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से बनने वाला और लगभग 1.7 लाख वर्ग मीटर में फैला नया अदालत परिसर और सुविधाएं भविष्य के न्यायालय भवनों के निर्माण के लिए नये मानदंड होंगे।