पुरुषोत्तम शर्मा/हप्र
सोनीपत, 9 दिसंबर
मंगलवार की रात को ही किसानों ने गृहमंत्री अमित शाह के प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया था, पर फिर भी सरकार की ओर से बुधवार को लिखित प्रस्ताव धरना दे रहे किसानों के पास भेजा गया। इस प्रस्ताव का ड्राफ्ट पढ़ने के बाद किसानों ने एक स्वर में कहा कि यह फैसला मान्य नहीं है। किसानों ने 14 दिसंबर को देशव्यापी प्रदर्शन व धरने का ऐलान कर दिया। इससे पहले 12 दिसंबर को देश में टोल फ्री किया जाएगा। किसानों ने अंबानी की जियो कंपनी के सिम पोर्ट कराने का आह्वान किया है।
किसानों ने तय किया कि भाजपा मंत्रियों का घेराव भी करेंगे और दिल्ली पर दबाव बढ़ाया जाएगा। इसके लिए दिल्ली में जाने वाले सारे नेशनल हाईवे अगले कुछ दिनों में जाम कर दिए जाएंगे। 12 दिसंबर तक का समय जयपुर-दिल्ली हाईवे जाम करने के लिए तय किया गया है। दरअसल, मंगलवार की रात को गृहमंत्री अमित शाह के बुलावे पर किसानों का 13 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल दिल्ली पहुंचा था। यहां बैठक में कोई नतीजा नहीं निकला और किसानों ने सरकार की मांग मानने से इंकार कर दिया था। इसके बावजूद शाह ने कहा था कि वह लिखित में प्रस्ताव किसानों के
पास भेजेंगे। गृहमंत्री अमित शाह की घोषणा के मुताबिक दोपहर में ही किसानों के पास सरकार का प्रस्ताव पहुंचा। इसका ड्राफ्ट पढ़ने के बाद सभी किसान संगठनों ने सामूहिक बैठक की और कई घंटे मंथन करने के बाद इस प्रस्ताव को सिरे से खारजि कर दिया। किसान नेता बलदेव सिंह, दर्शनपाल, राकेश टिकैत, गुरनाम चढ़ूनी, तजेंद्र विर्क आदि ने मीडिया से रूबरू होते हुए कहा कि प्रस्ताव बताता है कि सरकार की मंशा किसानों की मांग पूरी करने की है ही नहीं। वह इस प्रस्ताव को खारिज करते हैं।
एमएसपी पर मांगी गारंटी
किसान नेताओं ने कहा कि किसान एमएसपी पर गारंटी कानूनी और तीन नये कानून रद्द करने से कम किसी शर्त पर बातचीत को तैयार नहीं है। अब सरकार ने बातचीत के सारे रास्ते बंद कर दिए हैं। फिर भी अगर सरकार कानून रद्द करने और एमएसपी गारंटी का प्रस्ताव देती है, तो किसान विचार कर सकते हैं। तब तक किसानों का यह आंदोलन इसी तरह चलेगा। इसे अब और व्यापक किया जाएगा, हो सकता है कि किसान दिल्ली कूच भी कर दें। यह किसानों की बैठक में सहमति से तय होगा।
3 प्रस्ताव पास किए गए
बैठक के बाद किसानों ने तीन प्रमुख प्रस्ताव पास किए हैं। इनमें सबसे पहले 12 दिसंबर को देशभर में टोल फ्री किया जाएगा। 12 तक हर हाल में जयपुर-दिल्ली हाईवे को भी रोका जाएगा। दूसरा, जो भी किसान भाई या उनका परिवार जियो कंपनी का मोबाइल सिम इस्तेमाल करते हैं, उनसे इसे पोर्ट कराने का आह्वान किया गया है। तीसरा, 14 दिसंबर को देशभर में किसान विरोध प्रदर्शन व धरने करेंगे। किसान नेताओं ने कहा कि अब मुख्य आंदोलन कुंडली बार्डर से चलेगा और यहीं से अगली रणनीति तैयार होगी।
इधर किसानों के तीखे तेवर उधर सरकार का लचीला रुख
नयी दिल्ली (ट्रिन्यू) : कृषि कानूनों को रद्द कराने की मांग पर अड़े आंदोलनरत किसानों के तीखे तेवरों के बावजूद केंद्र सरकार लचीला रुख अपनाते हुए मामला सुलझाने का प्रयास करती रहेगी। किसानों की ओर से कृषि कानूनों में संशोधन प्रस्ताव खारिज कर देने के बाद सरकार नया फार्मूला तलाशने में जुट गई है। इसके तहत शीघ्र ही इन संशोधनों पर आधिकारिक फैसला भी करने की तैयारी में है। इसके लिए सरकार अध्यादेश लाने पर विचार कर रही है। इसके साथ ही आंदोलन में विपक्षी दलों के कूद जाने से सरकार व भाजपा इस मसले से राजनीतिक तौर भी पर निपटने में जुट गए हैं। आंदोलन को लेकर किसानों के नये कार्यक्रम का ऐलान कर देने से सरकार ने भी उन्हें मनाने के लिए नया फार्मूला तलाशने के प्रयास तेज कर दिए हैं। किसानों की ओर से प्रस्ताव रद्द करने का ऐलान के तुरंत बाद गृहमंत्री अमित शाह ने कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ मंथन किया। मोदी सरकार ने इन कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव देकर गेंद किसानों के पाले में डाल दी थी, लेकिन किसानों ने तीनों कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े रहने के साथ ही विरोध के नये कार्यक्रम का ऐलान कर सरकार की मुश्किल बढ़ा दी है।
बढ़ सकती हैं एनसीआर की मुश्किलें
किसानों के दिल्ली को घेरने के ऐलान से दिल्ली-एनसीआर के लोगों में उनके प्रति नाराजगी बढ़ने का खतरा पैदा हो गया है। यदि सीमाओं पर इसी तरह का बंद, ट्रैफिक जाम आदि रहा तो दिल्ली-एनसीआर के लोगों की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।
भाजपा भी मैदान में उतरी
इस मामले में विपक्षी दलों के भी कूद जाने के बाद भाजपा भी मैदान में उतर गई है। भाजपा का मानना है कि इस आंदोलन में कांग्रेस और वामदलों से जुड़ी किसान यूनियनों के कुछ ज्यादा ही अड़ियल रुख अपनाने से मामला नहीं सुलझ पा रहा है।