नयी दिल्ली, 16 जुलाई (एजेंसी)
केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंकों (एआरडीबी) से कहा कि वे सिंचाई परियोजनाओं समेत कृषि क्षेत्र को लंबी अवधि के और कर्ज देने पर ध्यान दें। कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंकों से शाह ने कहा कि सहकारिता बैंकों को केवल बैंकिंग तक सीमित नहीं रहना चाहिए बल्कि खेती के विस्तार पर भी ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि कृषि को सुगम व किसानों को समृद्ध बनाने के लिए गांव-गांव में किसानों से संवाद कर उन्हें जागरूक बनाना भी एआरडीबी की ही जिम्मेदारी है। शाह ने कहा कि सहकारिता मंत्रालय ने सहकारी क्षेत्र का डेटाबेस बनाने का काम शुरू कर दिया है।
शाह ने कहा कि छोटे किसानों के समक्ष आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए सहकारी बैंकों को इस बारे में सोचना चाहिए कि सहकारिता की भावना के साथ छोटे खेतों में किस तरह काम किया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि भारत में 49.4 करोड़ एकड़ कृषि भूमि है, जो अमेरिका के बाद सबसे ज्यादा है। यदि पूरी कृषि भूमि को सिंचित किया जाए तो भारत पूरी दुनिया का पेट भर सकता है। उल्लेखनीय है कि देश में करीब 50 फीसदी कृषि भूमि मानसून पर निर्भर है। एक राष्ट्रीय सम्मेलन में शाह ने कहा, ‘बीते नौ दशक से देश में कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक अलग-अलग नाम से चल रहे हैं। इन बैंकों को एआरडीबी में बदलने से किसानों की मानसून पर निर्भरता कम हो जाएगी।’ शाह ने कहा कि यह किसान कल्याण के प्रति मोदी सरकार की निष्ठा को दर्शाता है। उन्होंने केरल, कर्नाटक, गुजरात और पश्चिम बंगाल के चार राज्य सहकारिता कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंकों को उत्कृष्ट प्रदर्शन पुरस्कार भी दिए। 90 साल से ग्रामीण क्षेत्र की सेवा करने के लिए चार सबसे पुराने एआरडीबी को भी सम्मानित किया गया।
ऋण अवरोधकों से पार पाएं
ऋण में कई बाधाएं हैं और अब समय आ गया है कि सहकारिता की भावना के साथ इन अवरोधकों से पार पाया जाए। शाह ने कहा कि सहकारिता बैंकों को केवल बैंकों के तौर पर काम नहीं करना चाहिए बल्कि सिंचाई कृषि अवसंरचना की स्थापना जैसी अन्य सहकारी गतिविधियों पर भी ध्यान देना चाहिए। उन्होंने नाबार्ड से इसकी खातिर विस्तार इकाई का गठन करने को भी कहा। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से 70 साल में 64 लाख हेक्टेयर भूमि कृषि योग्य बनी, लेकिन प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत 8 साल में 64 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि में वृद्धि हुई और कृषि का निर्यात पहली बार 50 अरब डॉलर को पार कर गया है।