नयी दिल्ली, 26 फरवरी (एजेंसी)
भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एनवी रमण ने शनिवार को देश में आधारभूत न्यायिक ढांचे के बुनियादी न्यूनतम मानकों की कमी पर अफसोस जताया तथा बौद्धिक सम्पदा से संबंधित मुकद्दमों के प्रभावी निस्तारण के लिए हाई कोर्टों में न केवल न्यायाधीशों के रिक्त पदों को भरने, बल्कि इनकी संख्या बढ़ाने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
सीजेआई दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा आयोजित भारत में ‘आईपीआर’ विवादों के अधिनिर्णय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के तौर पर बोल रहे थे। इस संगोष्ठी में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और देश के विभिन्न न्यायालयों के न्यायाधीश मौजूद थे। सीजेआई ने कहा कि बुनियादी न्यायिक ढांचे में सुधार की जरूरत है। दुर्भाग्य से हम इस क्षेत्र में बुनियादी न्यूनतम मानकों को भी पूरा नहीं कर रहे हैं। सीजेआई ने आईपीआर के मामलों को फिर से हाईकोर्टों के अधिकार क्षेत्र में रखे जाने का उल्लेख करते हुए कहा कि यह ऐसे समय किया गया है जब न्यायपालिका लंबित मामलों के बोझ तले पहले से ही दबी है।
वृद्धि मजबूत करने में आईपीआर अहम : सीतारमण
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को कहा कि भारत ऐसे पड़ाव पर है जहां वृद्धि और विकास को हर ओर से मजबूत करने की जरूरत है और बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) की इसमें अहम भूमिका है। वित्त मंत्री ने कहा कि पिछले वर्ष 28,000 पेटेंट मिले हैं, 2013-14 में इनकी संख्या 4,000 थी। पिछले वर्ष 2.5 लाख ट्रेडमार्क का पंजीयन हुआ और 16,000 से अधिक कॉपीराइट हुए जिनका अर्थव्यवस्था पर बहुत मजबूत प्रभाव पड़ेगा। सीतारमण ने कहा कि केंद्र सरकार ने स्टार्ट अप के बौद्धिक संपदा अधिकारों की रक्षा करते हुए उन्हें बढ़ावा दिया है। न्यायपालिका के समर्थन से नवोन्मेष की प्रेरणा मिली तथा और कॉपीराइट मिले हैं और अब आईपीआर मुद्दों से निपटने के लिए एक व्यवस्थित तरीका है।