अजय मल्होत्रा/हप्र
भिवानी, 23 मार्च
एक मंच पर दो गुरु। एक आध्यात्मिक और दूसरे प्राकृतिक खेती के। जहरमुक्त फसल के लिए राधा स्वामी सत्संग के संत हुजूर कंवर साहेब महाराज के सान्निध्य में गुजरात के राज्यपाल एवं प्राकृतिक खेती के अग्रदूत आचार्य देवव्रत ने सत्संग के माध्यम से 22 हजार लोगों को शपथ दिलाकर बनाया रिकॉर्ड। कार्यक्रम हुआ बृहस्पतिवार को भिवानी में। उम्मीद की जा रही है कि यह मुहिम रंग लाएगी और हरियाणा में प्राकृतिक खेती को लेकर एक नए युग की शुरुआत जरूर होगी। कार्यक्रम में मौजूद लोगों ने आचार्य देवव्रत द्वारा बताई गई विधि को ध्यानपूर्वक सुना। संत हुजूर कंवर साहेब महाराज ने अपने पंथ के पांच नियमों के दायरे को बढ़ाते हुए प्राकृतिक खेती का छठा नियम भी इसमें शामिल कर दिया। उनके पांच नियम हैं- सदाचार जीवन, नशा मुक्ति, मांसाहार का त्याग, चोरी नहीं करना व भ्रूण हत्या निषेध। गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि आज खेती में रासायनिक खादों के प्रयोग से खान-पान जहरीला हो गया है, जिससे हम कैंसर व हार्ट अटैक जैसी अनेक जानलेवा बीमारियों की गिरफ्त में आ रहे हैं। ग्लोबल वार्मिंग भी बढ़ रही है। इसके चलते बाढ़ और अकाल का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती को अपनाकर ही जल, जमीन और जीवन के साथ-साथ किसान को बचाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि राधा स्वामी सत्संग के संत हुजूर कंवर महाराज ने अनुयायियों को जो प्राकृतिक खेती अपनाने का संकल्प दिलाया है, वह मानव कल्याण के लिए वरदान होगा। राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने फिर बताया कि एक गाय के एक दिन के गोबर व मूत्र से एक एकड़ की खाद तैयार हो जाती है। उन्होंने समझाया कि करीब 200 लीटर के ड्रम में 170 से 180 लीट पानी डालें। उसमें एक दिन का गोबर डाल दें, उसमें डेढ़ से दो किलो गुड़, इतना ही बेसन, पेड़ के नीचे की एक मुट्ठी मिट्टी डाल दें। सुबह-शाम चार से पांच मिनट तक उसे हिलाएं। सर्दी में छह दिन और गर्मी में चार दिन तक रखें। यही घोल एक एकड़ के लिए खाद है। कार्यक्रम के दौरान संत हुजूर कंवर साहेब ने आचार्य देवव्रत को स्मृति चिन्ह व राधा स्वामी का पवित्र ग्रंथ देकर सम्मानित किया। राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कंवर साहेब को गुजराती शॉल ओढ़ाया। कार्यक्रम का संचालन प्रो. हरिकेश पंघाल ने किया।
‘जैसा अन्न खाएंगे, वैसा ही मन होगा’
संत हुजूर कंवर साहेब जी महाराज ने कहा, ‘हम जैसा अन्न लेते हैं, वैसा ही हमारा मन हो जाता है। खान-पान जहरीला होने से इंसान क्रोधित प्रवृत्ति का हो गया है। बीमारियों के कारण अकाल मौत होने लगी हैं।’ उन्होंने कहा कि मन शुद्ध होगा तो विचार शुद्ध होंगे, इसके लिए खान-पान शुद्ध होना जरूरी है। तभी समाज और देश उन्नत बनेगा। उन्होंने गुजरात के राज्यपाल द्वारा प्राकृतिक खेती की मुहिम को सराहा और कहा, ‘जिस प्रकार स्वामी दयानंद और स्वामी विवेकानंद ने इंसानियत का संदेश दिया, उसी प्रकार आचार्य देवव्रत जहर मुक्त प्राकृतिक खेती का संदेश दे रहे हैं।’