जयंतीलाल भंडारी
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंफ्रास्ट्रक्चर फंड के लिए एक लाख करोड़ रुपये की वित्तपोषण सुविधा को लॉन्च किया है। इसके तहत कृषि ऋण समितियों, किसान समूहों, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ), कृषि-उद्यमियों, स्टार्टअप्स और खाद्य प्रसंस्करण से जुड़े उद्योग लगाने के लिए 2 करोड़ रुपए तक की क्रेडिट गारंटी सरकार लेगी और ब्याज में 3 फीसदी सालाना की रियायत दी जाएगी। वस्तुतः कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंड आत्मनिर्भर भारत के तहत प्रोत्साहन पैकेज का हिस्सा है।
कोविड-19 की चुनौतियों के बीच इस समय देश में किसानों की आय बढ़ाने और कृषि व ग्रामीण विकास के लिए जो पहल की जा रही हैं, उससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में ऊर्जावान परिदृश्य निर्मित होते हुए दिखाई दे रहा है। यद्यपि हमारे देश के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान करीब 17 फीसदी है, लेकिन देश के 60 फीसदी लोग खेती पर आश्रित हैं। ग्रामीण अर्थव्यवस्था में कृषि की हिस्सेदारी करीब 50 फीसदी है। अतएव कृषि देश की जीवन रेखा है।
हाल ही में प्रकाशित रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष सहित विभिन्न रिपोर्टों में कोविड-19 की चुनौतियों के बीच भारत के लिए मजबूत ग्रामीण बुनियादी घटक रेखांकित किए गए हैं। देश में रबी की बंपर पैदावार के बाद फसलों के लिए किसानों को लाभप्रद न्यूनतम समर्थन मूल्य मिला है। सरकार द्वारा किसानों को दी गई पीएम किसान सम्मान निधि, गरीबों के 40 करोड़ से अधिक जनधन खातों में नकद रुपया डालने जैसे कदमों से किसानों की मुट्ठियों में बड़ी धनराशि पहुंची है। ग्रामीण क्षेत्रों में उर्वरक, बीज, कृषि रसायन, ट्रैक्टर एवं कृषि उपकरण जैसी कृषि क्षेत्र से जुड़ी हुई वस्तुओं के साथ-साथ उपभोक्ता वस्तुओं की मांग में भी तेजी से वृद्धि दिखाई दे रही है।
हाल ही में देश की पहली किसान ट्रेन 7 अगस्त को महाराष्ट्र के देवलाली रेलवे स्टेशन से बिहार स्थित दानापुर रेलवे स्टेशन के लिए शुरू हुई है। यह ट्रेन महाराष्ट्र से संतरा और दूसरे फल व सब्जियां लेकर बिना समय गंवाए बिहार पहुंचेगी और वहां से लीची तथा दूसरे फल व सब्जियां लेकर महाराष्ट्र लौटेगी। इसका फायदा रास्ते में पड़ने वाले सभी गांवों व शहरों को मिलेगा। इस तरह की सुविधाओं से खराब मौसम या दूसरे प्रकार के संकट के समय शहरों में ताजा फल व सब्जियों की कमी नहीं होगी। किसान ट्रेन से जहां उत्पादन करने वाले किसानों को अच्छी कीमत मिलेगी वहीं उपभोक्ताओं को उचित कीमत पर फलों तथा सब्जियों की प्राप्ति होगी तथा उत्पादकों को भी अच्छी कीमत मिलेगी। अब आने वाले समय में देश के विभिन्न भागों में भी ऐसी किसान ट्रेन कृषि से आय में वृद्धि करेगी। गांव के नजदीक रोजगार मिलेगा।
निश्चित रूप से अच्छे मानसून के चलते किसानों और ग्रामीण भारत के लिए दिए गए आर्थिक प्रोत्साहनों के साथ-साथ खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य किसानों के लिए लाभप्रद है। पिछले दिनों सरकार ने 17 खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 2 से 7.5 फीसदी के दायरे में बढ़ोतरी की घोषणा की है। खासतौर से खरीफ की मुख्य फसल धान के लिए 2.89 से 2.92 फीसदी, दलहनों के लिए 2.07 से 5.26 फीसदी तथा बाजरे के लिए 7.5 फीसदी एमएसपी में बढ़ोतरी की गई है। इसमें किसानों को फसल लागत से 50 फीसदी अधिक दाम देने की नीति का पालन किया गया है। नई कीमतें उत्पादन लागत से 50 से 83 फीसदी अधिक होंगी। साथ ही किसान क्रेडिट कार्ड से किसानों को चार फीसदी ब्याज पर तीन लाख रुपए तक का कर्ज सुनिश्चित किया जाना भी किसानों के लिए लाभप्रद होगा।
उल्लेखनीय है कि मई, 2020 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 20 लाख 97 हजार 53 करोड़ रुपए का जो आर्थिक पैकेज प्रस्तुत किया है, उसमें खेती किसानी को बेहतर बनाकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भरता की बुनियाद बनाने का लक्ष्य है। निश्चित रूप से पशुपालन बुनियादी ढांचा विकास फंड से भारत की मौजूदा डेयरी क्षमता तेजी से बढ़ेगी। साथ ही इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में करीब 30 लाख लोगों के लिए रोजगार का सृजन होगा। किसानों को कृषि उत्पाद मंडी समिति के माध्यम से उत्पादों को बेचने की अनिवार्यता खत्म होने और कृषि उपज के बाधा रहित कारोबार से बेहतर दाम पाने का मौका मिलेगा।
ज्ञातव्य है कि आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 में संशोधन करने के फैसले से अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, आलू और प्याज की कीमतें प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति को छोड़कर भंडारण सीमा से स्वतंत्र हो जाएंगी। ऐसे में जब किसान अपनी फसल को तकनीक एवं वितरण नेटवर्क के सहारे कहीं भी बेचने की स्थिति में होंगे, तो इससे निश्चित रूप से किसानों को उपज का बेहतर मूल्य मिलेगा।
कृषि सुधार से एक फायदा यह भी होगा कि जब किसान अपने छोटे-छोटे खेतों से निकली फसल को कहीं भी बेचने के लिए स्वतंत्र होंगे, तो इससे जहां एक ओर बंपर फसल होने पर भी फसल की बर्बादी या फसल की कम कीमत मिलने की आशंका नहीं होगी। वहीं दूसरी ओर फसल के निर्यात की संभावना भी बढ़ेगी। इसी तरह किसानों को अनुबंध पर खेती की अनुमति मिलने से किसान बड़े रिटेल कारोबारियों, थोक विक्रेताओं तथा निर्यातकों के साथ समन्वय करके अधिकतम और लाभप्रद फसल उत्पादित करते हुए दिखाई दे सकेंगे।
इसके बावजूद किसानों को खरीफ सीजन आने के पहले कृषि उत्पादन के लिए जरूरी सामान खरीदने के लिए पर्याप्त नकदी उपलब्ध कराना होगी। ग्रामीण क्षेत्र के छोटे और कुटीर उद्योगों को सरल ऋण मिलना भी सुनिश्चित किया जाना होगा। खराब होने वाले कृषि उत्पादों जैसे फलों और सब्जियों के लिए लॉजिस्टिक्स सुदृढ़ किया जाना होगा, जिससे किसानों को बेहतर मुनाफा दिया जा सके। खाद्य प्रसंस्करणकर्ताओं के लिए अतिरिक्त कार्यशील पूंजी ऋण मुहैया कराया जाना होगा, जिससे वे कच्चे माल की खरीद कर सकें।
उम्मीद है कि एक लाख करोड़ रुपए के कृषि बुनियादी ढांचा कोष से फसल तैयार होने के बाद गांवों में नौकरियों के सृजन में मदद मिलेगी। कृषि बुनियादी ढांचा फसल तैयार होने के बाद होने वाले नुकसान में कमी ला पाएगा। इससे छोटे किसानों की तकलीफें कम होंगी और उन्हें ऐसी ताकत मिलेगी कि वे अपने उत्पादों को खुद के गोदाम बनाकर बेहतर देखभाल कर सकेंगे या उन लोगों को अपनी फसल देंगे, जो बेहतर दाम दें।
उम्मीद है कि आवश्यक जिंस अधिनियम और ठेके पर कृषि के ढांचे को लेकर जारी अध्यादेश से निजी कंपनियों को निवेश में सहूलियत मिलेगी और उन्हें भंडारण सुविधा और गोदामों में निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा। साथ ही भारत में फसल तैयार होने के बाद के प्रबंधन जैसे गोदाम, कोल्ड स्टोरेज चेन्स खाद्य प्रसंस्करण और ऑर्गेनिक व फोर्टीफाइड फूड में वैश्विक निवेश की अच्छी संभावनाएं आगे बढ़ेंगी।
उम्मीद है कि आत्मनिर्भर भारत अभियान से भारत में उन्नत कृषि, शीत भंडार गृह, ग्रामीण एवं कुटीर उद्योग, पशुपालन, डेयरी उत्पादन तथा खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को नया प्रोत्साहन मिलेगा। ऐसे में मजबूत ग्रामीण अर्थव्यवस्था आत्मनिर्भर भारत की बुनियाद बनते हुए दिखाई दे सकेगी। उम्मीद है कि सरकार के द्वारा ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकने के लिए की गई विभिन्न घोषणाओं के कारगर क्रियान्वयन से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में खुशहाली आयेगी।
लेखक ख्यात अर्थशास्त्री हैं।