आलोक पुराणिक
कबीरदास सिर्फ संत ही नहीं थे, अर्थशास्त्री थे। उनका दोहा है—सब पैसे के भाई, दिल का साथी नहीं कोई, खाने पैसे को पैसा हो रे, तो जोरू बंदगी करे, एक दिन खाना नहीं मिले, फिरकर जवाब करे।
सब पैसे के भाई-कबीरदास की बात लगभग पूरी सत्य है। पर हाल में कोरोना के काल में यह बात भी गलत ही साबित हो गयी क्योंकि जिनकी जेब में पैसे थे, उनके भी पैसे खत्म हो लिये कोरोना के इलाज में। पुरातत्व खुदाई में मिले प्रमाणों के आधार यह कथा बनती है—रावण युद्ध को निकले हैं-मंदोदरी चेता रही हैं-कोरोना का प्रकोप चल रहा है। हे नाथ! मास्क लगा कर जाओ।
रावण मदोन्मत होकर बोला—तीन लोकों के देव-गण-असुर मेरे सामने पानी भरते हैं, कोरोना-वोरोना वायरस क्या बेचता है।
मंदोदरी बोलीं—हे रावण! मास्क लगाकर जाओ, तो जीवन रक्षा हो जायेगी। और मास्क भी तीन परतवाला लगाना। यह कोरोना वायरस चीन का है, चीन बहुत ही शातिर टाइप का मुल्क है। इसकी सच्चाई को पकड़ने में बड़े बड़े फेल हो जाते हैं। नाथ मास्क लगाकर जाना और हाथ धोना अपने हर आधा घंटे में।
रावण अहंकारी, न सुनी।
युद्ध मैदान में पहुंचने से पहले ही रावण को बुखार महसूस हुआ, खांसी आयी। मेघनाद रावण को भारत के सरकारी अस्पताल में लेकर गया-पांच बेड पर पैंतीस लोग जमे थे। रावण बेहोश हो गया यह देखकर। फिर मेघनाद रावण को फाइव स्टार निजी अस्पताल की ओर ले गया। निजी अस्पताल के मालिक ने रावण के दस मुंह देखकर पहले ही बताया कि दस बंदों के इलाज की कीमत वसूली जायेगी। रावण को अपने सोने के खजाने पर बहुत अहंकार था। रावण बोला—हम तो तुम्हारा सारा अस्पताल खरीदने की हैसियत रखते हैं। निजी अस्पताल वाला हंसने लगा। इलाज शुरू हुआ। रेमिडिसिवर दवा के इंजेक्शन मंगाये गये, लाखों का एक इंजेक्शन। आक्सीजन का एक-एक सिलेंडर लाखों का पड़ा। हर तरह का टेस्ट किया गया। रावण के करीब 789 टेस्ट किये गये। प्रेगनेंसी टेस्ट तक कर लिया गया रावण का।
मेघनाद ने आपत्ति की, तो उन्हें बताया गया कि अस्पताल में जो भी आता है, उसका हर टेस्ट किया जाता है। रावण जिस वाहन पर लाया गया है, उसका भी प्रेगनेंसी टेस्ट किया गया है। दूसरे दिन ही मेघनाद को 87878787897894789789789748978974897489798479847 करोड़ स्वर्ण मुद्राओं का बिल दिया गया। मेघनाद ने रावण को सूचित किया-अपना चौथाई खजाना खाली हो लिया है जी। और इलाज पूरा न हुआ।
एक एनजीओ बाज आया मेघनाद के पास और बोला असुर हेल्प फाउंडेशन बनाकर हम ग्लोबल स्तर पर डोनेशन वसूल सकते हैं। असुर हेल्प फाउंडेशन बन गया, बहुत रकम आ भी गयी उसमें पर फिर वो एनजीओ बाज दोबारा न आया मेघनाद के पास। सारी रकम लेकर वह स्विट्ज़रलैंड भाग गया।
छठे दिन फाइव स्टार अस्पताल ने रावण को अस्पताल से बाहर ठेल दिया, नान-पेमेंट की वजह से। कोरोना ने रावण का खजाना और अहंकार दोनों को चकनाचूर कर दिया। मतलब आप मास्क पहनकर ही बाहर निकलें और हाथ धोते रहें लगातार।