अरुण नैथानी
पिछले महीने रक्त जमाती ठंड में जब रूस में प्रतिरोध के प्रतीक नवेलनी स्वदेश लौटे तो उनकी गिरफ्तारी के विरोध में रक्त जमाती बर्फ के बीच हजारों लोग सड़कों पर उतरे। पिछले साल प्राणघातक ज़हर दिये जाने के बाद इलाज के लिये जर्मनी गए एलेक्सी नवेलनी के देश लौटने का इंतजार लोग और पुतिन सरकार शिद्दत से कर रहे थे। अब उन्हें पैरोल के नियम तोड़ने के आरोप में साढ़े तीन साल की सजा सुनाई गई है। इसके वाबजूद वे सोशल मीडिया के जरिये रूस सरकार के कथित भ्रष्टाचार पर हमलावर हैं। उनके पोस्ट किये वीडियो को करोड़ों लोगों ने देखा है।
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के मुखर आलोचक और विपक्षी नेता नवेलनी रूस में प्रतिरोध के प्रतीक बन गये हैं। हजारों लोग उनकी एक आवाज पर सड़कों पर उतर आते हैं। दुनिया के सबसे ठंडे मुल्कों में शुमार रूस में माइनस चालीस-पचास डिग्री पर भी लोग सड़कों पर उतरे हैं। जिसके बाद पुतिन पश्चिमी देशों के निशाने पर आ गये हैं। नवेलनी की तुरंत रिहाई की मांग की जा रही है। बीते वर्ष अगस्त में घातक नर्व एजेंट नामक ज़हर दिये जाने के बाद नवेलनी अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में छाये रहे हैं। जर्मनी में हुए टेस्ट में पाया गया था कि उन्हें घातक नोविचोक ज़हर दिया गया था, जो रूसी खुफिया एजेंसियों का घातक हथियार रहा है। दरअसल, उनकी मुखरता और मिलते जनसमर्थन से क्रेमलिन मुश्किल में है। रूस पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव लगातार बढ़ रहा है। दरअसल नवेलनी ने इस प्राणघातक हमले के लिये रूसी सरकार पर आरोप लगाया था।
दरअसल नवेलनी से भयभीत रूसी सरकार तरह-तरह के आरोप लगाकर उन्हें कई बार गिरफ्तार कर चुकी है। गत दिसंबर में संघीय कारागार सेवा ने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में 2014 में दोषी ठहराये जाने को लेकर निलंबित सजा के मामले में उपस्थित होने को कहा। वहीं नवेलनी इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताते हुए कहते हैं कि यह सजा तीस दिसंबर को ही समाप्त हो गई है। वहीं यूरोपीय मानवाधिकार अदालत दोष सिद्धि को कानून के विरुद्ध बताती है। बहरहाल, नवेलनी की गिरफ्तारी के बाद रूस में पुतिन सरकार के खिलाफ अब तक के सबसे बड़े विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।
दरअसल, पैंतालिस वर्षीय नवेलनी पुतिन की यूनाइटेड रशिया पार्टी को गंभीर भ्रष्टाचार में लिप्त होने के आरोप लगाते हुए लगातार हमलावर होते रहे हैं। पिछले दिनों कालासागर पर बने अरबों रुपये के महल को पुतिन की एेशगाह बताकर उन्होंने सनसनी फैला दी है। सोशल साइट पर पोस्ट इस वीडियो को करोड़ों लोगों ने देखा। दरअसल, रूस में पुतिन द्वारा अपना कार्यकाल लगातार बढ़ाये जाने का विरोध होता रहा है। नवेलनी उस विरोध के प्रतीक बने हैं। उनके कार्यकाल बढ़ाये जाने के लिये रूस में किये संवैधानिक सुधारों को वे संविधान विरोधी बताते रहे हैं। दरअसल पुतिन का मौजूदा कार्यकाल वर्ष 2024 में समाप्त होना था, लेकिन उससे पहले ही देश में संवैधानिक सुधारों के लिये वोटिंग कराकर उन्होंने ऐसी व्यवस्था बना ली कि वे निर्धारित अवधि के बाद भी सोलह सालों तक पद पर बने रह सकते हैं, जिसे नवेलनी संविधान से छेड़छाड़ बताते हैं।
रूस में भ्रष्टाचार के खिलाफ लगातार अभियान चलाने वाले नवेलनी ने 2011 में पुतिन की पार्टी द्वारा संसदीय चुनाव में बड़ी धांधली का आरोप लगाया था। इसके बाद नवेलनी को एक पखवाड़ा जेल में गुजारना पड़ा था। लेकिन इसके बाद उलटे नवेलनी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर वर्ष 2013 में उन्हें जेल की सीखचों के पीछे डाल दिया गया।
बहरहाल, सरकारी दमन के बावजूद वे रूस में लोकतंत्र समर्थकों की आवाज बने हुए हैं। वे सोशल मीडिया के बूते पुतिन सरकार पर लगातार हमलावर बने रहते हैं। यूट्यूब पर उनके चैनल के करीब 38 लाख सब्सक्राइबर हैं। वहीं यूट्यूब पर 25 लाख फॉलोअर हैं। वे लगातार तंत्र के कदाचार से जुड़ी सामग्री सोशल मीडिया पर पोस्ट करते रहते हैं। वे पुतिन के विलासी जीवन का कच्चा-चिट्ठा भी खोलते रहते हैं। वहीं रूसी हुक्मरान उन्हें पश्चिमी जगत का रूस विरोधी चेहरा बताते हैं और इसे रूस की संप्रभुता का अतिक्रमण बताते हैं।
पुतिन के मुखर आलोचक माने जाने वाले नवेलनी ने वर्ष 2018 में उनके खिलाफ राष्ट्रपति चुनाव लड़ने का मन बनाया था। लेकिन नॉमिनेशन दाखिल करने के बावजूद उन पर धोखाधड़ी का आरोप लगाकर उन्हें चुनाव लड़ने से रोक दिया गया। उनकी दलील थी कि भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद करने की वजह से उन्हें झूठे आरोपों में फंसाया जा रहा है। लेकिन इससे नवेलनी की लोकप्रियता में इजाफा ही हुआ है।
जर्मनी से उनके स्वदेश लौटने पर देशव्यापी प्रदर्शनों के बीच जब हजारों लोगों को गिरफ्तार किया गया तो उनमें उनकी पत्नी यूलिया भी शामिल थी जो नवेलनी की अनुपस्थिति में आंदोलनों का नेतृत्व करती हैं। बड़ी सजा की चेतावनी के बावजूद लाखों लोग नवेलनी के पक्ष में सड़कों पर उतर रहे हैं।