संयुक्त राष्ट्र, 16 जनवरी (एजेंसी)
प्रवासी भारतीयों की संख्या विश्व में सबसे अधिक है। संयुक्त राष्ट्र ने साल 2020 के आंकड़े बताते हुए कहा कि करीब 1.8 करोड़ भारतीय अपने वतन से दूर दुनिया के अलग-अलग देशों में रहते हैं और इस मामले में यह विश्व का सबसे बड़ा प्रवासी समूह है। विश्व निकाय ने बताया कि सबसे अधिक संख्या में प्रवासी भारतीय संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका और सऊदी अरब में रहते हैं।
संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक एवं सामाजिक मामलों के विभाग (डीईएसए) में जनसंख्या प्रभाग में जनसंख्या मामलों की अधिकारी क्लेर मेनोजी ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘दुनिया में भारत की सबसे अधिक परा देशीय आबादी है। भारतीय प्रवासी सभी महाद्वीपों एवं क्षेत्रों- खाड़ी से लेकर अमेरिका तक, ऑस्ट्रेलिया से लेकर ब्रिटेन तक- में फैले हुए हैं। यह दुनिया का सबसे विविधता युक्त एवं गतिशील समुदाय है।’
संयुक्त राष्ट्र डीईएसए के जनसंख्या प्रभाग द्वारा शुक्रवार को जारी ‘अंतर्राष्ट्रीय प्रवास-2020’ रिपोर्ट के मुताबिक भारत के अलावा अन्य देश, जिनकी बड़ी आबादी विदेश में रहती है, उनमें मैक्सिको और रूस हैं। इन दोनों देशों की 1.1-1.1 करोड़ आबादी विदेश में रहती है। वहीं, एक करोड़ चीनी और 80 लाख सीरियाई भी दूसरे देशों में रहते हैं। विदेशों में रहने वाले भारतीयों में सबसे अधिक 35 लाख संयुक्त अरब अमीरात में रहते हैं, जबकि 27 लाख भारतीय अमेरिका में और 25 लाख सऊदी अरब में रहते हैं। इनके अलावा ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, कुवैत, ओमान, पाकिस्तान, कतर और ब्रिटेन में भी भारतीय प्रवासियों की बड़ी संख्या है।
20 साल में बढ़े एक करोड़ : रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2000 से 2020 के बीच दुनिया के हर देश एवं क्षेत्र में प्रवासियों की संख्या में वृद्धि हुई और इसका सबसे अधिक लाभ भारत को हुआ, जिसकी विदेश में रहने वाली आबादी की संख्या में एक करोड़ की वृद्धि हुई। इसके बाद सीरिया, वेनेजुएला, चीन और फिलीपीन का स्थान आता है। संयुक्त राष्ट्र निकाय के जनसंख्या प्रभाग के निदेशक जॉन विलमोथ ने कहा कि भारत से प्रवास की मुख्य वजह रोजगार और पारिवारिक कारण रहे। जबरन प्रवास का प्रतिशत (करीब 10 फीसदी) कम रहा।