पेरिस, 18 सितंबर (एजेंसी)अमेरिका के सबसे पुराने सहयोगी देश फ्रांस ने अप्रत्याशित रूप से गुस्सा जताते हुए अमेरिका से अपने राजदूत को शुक्रवार को वापस बुला लिया। दोनों देशों के बीच 18वीं सदी की क्रांति के दौरान बने संबंधों में दरार आती नजर आ रही है। दरअसल, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन ने नया हिंद-प्रशांत सुरक्षा गठबंधन बनाने में फ्रांस को छोड़ दिया है। फ्रांस के विदेश मंत्रालय के अनुसार, यह पहली बार है, जब उसने अमेरिका से अपने राजदूत को वापस बुलाया है। उसने ऑस्ट्रेलिया से भी अपने राजदूत को वापस बुलाया है। फ्रांसीसी विदेश मंत्री ज्यां इव लि द्रीयां ने एक लिखित बयान में कहा कि फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुअल मैक्रों के अनुरोध पर लिया गया यह फैसला ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका द्वारा की गई ‘घोषणा की असाधारण गंभीरता को देखते हुए न्यायोचित’ है। अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन ने नए त्रिपक्षीय सुरक्षा गठबंधन ‘ऑकस’ की घोषणा की है। गौरतलब है कि फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया के बीच डीजल पनडुब्बियों के निर्माण के लिए करीब 100 अरब डॉलर का सौदा हुआ था। नई ऑकस पहल की शर्तों के तहत ऑस्ट्रेलिया के लिए डीजल पनडुब्बियों के निर्माण का यह सौदा समाप्त हो जाएगा, जिससे फ्रांस नाखुश है। विदेश मंत्री ने कहा कि समझौता खत्म करने का ऑस्ट्रेलिया का फैसला ‘सहयोगियों और साझेदारों के बीच अस्वीकार्य बर्ताव’ है। राजदूत फिलिप एतिने ने ट्वीट किया कि इन घोषणाओं का ‘हमारे गठबंधनों, हमारी साझेदारियों और यूरोप के लिए हिंद-प्रशांत की महत्ता की हमारी दूरदृष्टि पर प्रत्यक्ष असर पड़ रहा है।’ अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की प्रवक्ता एमिली होर्न ने कहा कि जो बाइडेन प्रशासन एतिने को पेरिस वापस बुलाने के फैसले को लेकर फ्रांसिसी अधिकारियों के करीबी संपर्क में है। उन्होंने एक बयान में कहा, ‘हम उनकी स्थिति समझते हैं और हम अपने मतभेदों को दूर करने के लिए आने वाले दिनों में काम करते रहेंगे, जैसा कि हमने हमारे लंबे गठबंधन के दौरान कई मौकों पर किया है। फ्रांस हमारा सबसे पुराना सहयोगी और मजबूत साझेदारों में से एक है। हमारा साझा लोकतांत्रिक मूल्यों और वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए साथ मिलकर काम करने का लंबा इतिहास रहा है।’ अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने भी फ्रांस के साथ संबंधों को अहमियत दी और उम्मीद जतायी कि दोनों देशों के बीच बातचीत आने वाले दिनों में जारी रहेगी। इसमें अगले हफ्ते संयुक्त राष्ट्र महासभा की वार्षिक बैठक भी शामिल है। हालांकि 2017 में सत्ता में आने के बाद से ऐसा पहली बार होगा, जब मैक्रों विश्व नेताओं की वार्षिक बैठक में भाषण नहीं देंगे। उनके बजाय विदेश मंत्री संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करेंगे। मैक्रों ने अभी राजदूत को वापस बुलाने के मुद्दे पर टिप्पणी नहीं की है। चार साल के उनके कार्यकाल में यह विदेश नीति का सबसे साहसी कदम बताया जा रहा है। इससे पहले शुक्रवार को फ्रांस के एक शीर्ष राजनयिक ने गोपनीयता की शर्त पर बताया था कि मैक्रों को ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन से बुधवार सुबह एक पत्र मिला जिसमें पनडुब्बी समझौते को रद्द करने के फैसले की घोषणा की गयी है।