काठमांडू, 12 जुलाई (एजेंसी)
नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी को निर्देश दिया कि नेपाली कांग्रेस के प्रमुख शेर बहादुर देउबा को मंगलवार तक देश का प्रधानमंत्री नियुक्त किया जाए। कोर्ट ने साथ ही पांच महीनों में दूसरी बार भंग प्रतिनिधि सभा को बहाल कर दिया। चीफ जस्टिस चोलेंद्र शमशेर राणा के नेतृत्व वाली सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय संविधान पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की अनुशंसा पर राष्ट्रपति का निचले सदन को भंग करने का फैसला असंवैधानिक कृत्य था।
इस घटनाक्रम को वयोवृद्ध कम्युनिस्ट नेता के लिये बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है, जो समय पूर्व चुनावों की तैयारी कर रहे थे। पीठ ने मंगलवार तक देउबा को प्रधानमंत्री नियुक्त करने का परमादेश जारी किया। देउबा (74) इससे पहले 4 बार प्रधानमंत्री रह चुके हैं। अदालत ने प्रतिनिधि सभा का नया सत्र 18 जुलाई की शाम पांच बजे बुलाने का भी आदेश दिया है। चीफ जस्टिस राणा ने कहा कि पीठ इस नतीजे पर पहुंची है कि जब सांसद संविधान के अनुच्छेद 76(5) के तहत नये प्रधानमंत्री के निर्वाचन के लिये मतदान में हिस्सा लेते हैं, तब पार्टी व्हिप लागू नहीं होता। पीठ ने पिछले हफ्ते मामले में सुनवाई पूरी की थी।
राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने प्रधानमंत्री ओली की अनुशंसा पर 275 सदस्यीय निचले सदन को 22 मई को पांच महीने में दूसरी बार भंग कर दिया था और 12 व 19 नवंबर को मध्यावधि चुनाव की घोषणा की थी। नेपाली कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन द्वारा दायर याचिका समेत करीब 30 याचिकाएं राष्ट्रपति द्वारा सदन को भंग किए जाने के खिलाफ दायर की गई थीं। विपक्षी दलों के गठबंधन की तरफ से भी एक याचिका दायर की गई थी, जिस पर 146 सांसदों के हस्ताक्षर थे और इसमें संसद के निचले सदन को फिर से बहाल करने तथा देउबा को प्रधानमंत्री नियुक्त किये जाने की मांग की गई थी।