
बेहद कष्टकारी परिस्थितियों से गुजरने के बावजूद साहित्यकार विकेश निझावन द्वारा निरंतर पुष्पगंधा का प्रकाशन निस्संदेह, प्रेरणादायक है। ताजा अंक संग्रहणीय है क्योंकि इसमें कालजयी रचनाओं के सृजक प्रेमचंद की रचनाओं का आठ खंडों में संकलित ‘नया मनसरोवर’ का विशद् विवरण संकलित है। प्रेमचंद जी के साहित्य के मर्मज्ञ डॉ.कमल किशोर गोयनका के अनुसार पुराने मानसरोवर को नये रूप में सार्थक-उपयोगी बनाने का प्रयास है। संकलन को वैज्ञानिक-तर्कसंगत बनाने का प्रयास किया गया है।
पत्रिका : पुष्पगंधा संपादक : विकेश निझावन प्रकाशक : 557-बी सिविल लाइन्स, अंबाला शहर पृष्ठ : 104 मूल्य : रु. 30.
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