रोहतक, 24 नवंबर (निस)
पीजीआई रोहतक के मेडिकल छात्रों में बॉन्ड पालिसी को लेकर विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है। एमबीबीएस छात्रों ने अब भूखहड़ताल शुरू कर दी है। रेजिडेंट डाक्टरों ने भी सरकार को 24 घंटे का अल्टीमेंट देते हुए आपातकालीन सेवाएं बंद करने की चेतावनी दी है। रेजिडेंट डाक्टरों की हड़ताल से पीजीआई में मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं, वार्ड में भर्ती मरीज प्राइवेट अस्पतालों में शिफ्ट होने लगे हैं। रेजिडेंट डाक्टरों की हड़ताल के चलते पीजीआई में स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हैं। पीजीआई प्रबंधन ने हड़ताल से निपटने के लिए वरिष्ठ चिकित्सकों को जिम्मा सौंपा है।
पीजीआई में इलाज के लिए आए मरीजों का कहना है कि सरकार को हठधर्मिता छोड़कर चिकित्सकों की मांगें पूरी करनी चाहिए, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं में कोई बाधा न आए। बॉन्ड पालिसी के विरोध में बृहस्पतिवार को एमबीबीएस छात्रों ने ओपीडी के बाहर भूख हड़ताल शुरू कर दी। मेडिकल छात्रों ने साफ साफ कहा कि सरकार हठधर्मिता अपनाए हुए है। बॉन्ड पालिसी जनहित में नहीं है। छात्रों ने कहा कि जब उनका चयन मेरिट के आधार पर हुआ है तो वह सरकार को किस लिए 40 लाख रूपये दे। सरकार की मंशा केवल छात्रों को बंधुआ मजदूर बनाने की है। जब तक सरकार बॉन्ड पालिसी को वापस नहीं लेती है, तब तक उनकी भूखहड़ताल जारी रहेगी। मेडिकल छात्रों के समर्थन में रेजिडेंट डाक्टरों की हड़ताल भी जारी रही। इस दौरान रजिडेंट डाक्टरों ने ओपीडी में इलाज के लिए पहुंचे किसी भी मरीज को नहीं देखा और भूखहड़ताल पर बैठे मेडिकल छात्रों के साथ धरने पर बैठ गए। रेजिडेंट डाक्टरों ने सरकार को चेताया कि अगर 24 घंटे में बॉन्ड पालिसी को वापस नहीं लिया तो पीजीआई में ट्रामा सेंटर, आपातकालीन सेवाएं व वार्डों में सभी प्रकार की सर्विस को बंद कर दिया जाएगा। रेजिडेंट डाक्टरों ने आरोप लगाया कि सरकार उनकी बात सुनने को तैयार नहीं है और हड़ताल से मरीजों को हो रही परेशानी की जिम्मेवार भी सरकार है।
एमबीबीएस के छात्रों और अभिभावक विधायक से मिले
रेवाड़ी (हप्र) : प्रदेश सरकार की बॉन्ड पॉलिसी के विरोध में एमबीबीएस के छात्र व अभिभावक बृहस्पतिवार को विधायक चिरंजीव राव से उनके आवास पर मिले और ज्ञापन सौंपकर समर्थन की गुहार लगाई। छात्रों ने कहा कि एमबीबीएस में बॉन्ड पॉलिसी के तहत सरकार एडमिशन के समय उनसे 4 साल में 40 लाख रुपये का बांड भरवा रही है। शर्त के अनुसार सरकारी मेडिकल कॉलेज में पढ़ने वाले हर छात्र को कम से कम 7 साल सरकारी अस्पताल में सेवाएं देनी होंगी। अगर वह ऐसा नहीं करता है तो बान्ड के रूप में दिये गये 40 लाख रुपये सरकार ले लेगी। उन्होंने कहा कि इन इस बांड पॉलिसी के चलते छात्र पढ़ाई से पहले ही कर्ज में डूब जाएंगे। उनकी मांग है कि बांड एग्रीमेंट में से बैंक की दखलंदाजी खत्म की जाए। सेवा की अवधि 7 साल से घटाकर अधिकतम एक साल की जाए, ग्रेजुएशन के अधिकतम 2 महीने के अंदर सरकार एमबीबीएस ग्रेजुएट को नौकरी की गारंटी दे। विधायक चिरंजीव राव ने कहा कि छात्रों की मांगें वे विधानसभा सत्र में उठाएंगे और बान्ड पॉलिसी को वापस लेने के लिए सरकार पर दबाव बनाने का प्रयास किया जाएगा।