नयी दिल्ली, 10 दिसंबर (एजेंसी) सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता में हुए ‘हल्के’ सुधार का शुक्रवार को संज्ञान लिया और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को अनुमति दी कि वह निर्माण गतिविधियों सहित अन्य पाबंदियों में छूट देने के संबंध में मिली अर्जियों पर एक सप्ताह के भीतर फैसला ले सकता है। चीफ जस्टिस एनवी रमण, जरूटिय डीवाई चंद्रचूड और जस्टिस सूर्यकांत की विशेष पीठ ने उत्तर प्रदेश और राजस्थान से अपने पुराने आदेश का पालन करने का निर्देश दिया। इस आदेश में जिसमें न्यायालय ने एनसीआरक्षेत्र में आने वाले राज्यों से कहा था कि वे रियल एस्टेट फर्मों से वसूले जाने वाले उपकर से निर्माण क्षेत्र के मजदूरों को न्यूनतम दिहाड़ी देते रहें, क्योंकि पाबंदियों के कारण उनकी जीविका प्रभावित हुई है। पीठ ने कहा कि राजस्थान और उत्तर प्रदेश की सरकारों को निर्माण क्षेत्र के मजदूरों को दिहाड़ी भुगतान के संबंध में अनुपालन हलफनामा दायर करना होगा। पीठ ने कहा कि हम आयोग (एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग) को निर्देश देते हैं कि वह विभिन्न उद्योगों और संगठनों की ओर से हमारे आदेशों या अन्य सर्कुलर के कारण लागू पाबंदियों में छूट के लिए मिली अर्जियों पर फैसला लें। हम आशा करते हैं कि आयोग इस संबंध में एक सप्ताह में फैसला लेगा। पीठ ने इस संबंध में विभिन्न बिल्डरों, गन्ना, चावल और कागज मिलों तथा अन्य की ओर से पाबंदियों से छूट देने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं का निपटारा कर दिया।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।