नयी दिल्ली, 6 दिसंबर (एजेंसी)
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत को एक बहुत बड़ी शक्ति और वक्त की कसौटी पर खरा उतरा मित्र बताया है। सोमवार को संक्षिप्त यात्रा पर भारत आये रूसी राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ व्यापक वार्ता की। पुतिन ने आतंकवाद, मादक पदार्थों की तस्करी और संगठित अपराध पर साझा चिंता प्रकट की। उन्होंने अफगानिस्तान में घटनाक्रमों को लेकर भी चिंता प्रकट की और कहा कि भारत एवं रूस क्षेत्र के सामने पेश आ रही बड़ी चुनौतियों पर समन्वय जारी रखेंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान पुतिन की दूसरी विदेश यात्रा भारत-रूस संबंधों के प्रति उनकी व्यक्तिगत प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करती है। दोनों पक्षों के बीच विशेष रणनीतिक साझेदारी प्रगाढ़ हो रही है।
रणनीतिक महत्व के मुद्दों पर व्यापक चर्चा करने के लक्ष्य से भारत और रूस के विदेश एवं रक्षा मंत्रियों की पहली ‘टू प्लस टू’ वार्ता के कुछ घंटों बाद मोदी और पुतिन की शिखर वार्ता हुई। पुतिन ने कहा कि दोनों पक्ष वैश्विक मुद्दों पर सहयोग जारी रखे हुए हैं। कई मुद्दों पर दोनों पक्षों के रुख में समानताएं हैं। रूसी नेता ने पर्यावरण, व्यापार और निवेश तथा उच्च प्रौद्योगिकी सहित अन्य क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच बढ़ते सहयोग का भी उल्लेख किया। पुतिन ने कहा, ‘अभी, परस्पर निवेश करीब 38 अरब डॉलर का है। और अधिक निवेश रूस से आ रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि वह मित्र देश भारत की यात्रा कर बहुत खुश हैं। मोदी ने कहा कि पिछले कुछ दशकों में, विश्व ने कई मूलभूत परिवर्तन और विभिन्न प्रकार के भू-राजनीतिक बदलाव देखे हैं, लेकिन भारत एवं रूस की मित्रता पहले जैसी बनी रही है।
रक्षा मंत्री ने चीनी आक्रामकता का किया उल्लेख
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारत-रूस ‘टू प्लस टू’ वार्ता में चीन की आक्रामकता का उल्लेख किया। उन्होंने चीन का नाम लिए बिना कहा कि महामारी, हमारे पड़ोस में असाधारण सैन्यीकरण, आयुधों का विस्तार और उत्तरी सीमा पर बिना उकसावे की आक्रामकता से कई चुनौतियां उत्पन्न हुई हैं। उन्होंने कहा कि भारत अपने लोगों की मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति और अंतर्निहित क्षमता के साथ इन चुनौतियों से पार पाने को लेकर आश्वस्त है। ‘टू प्लस टू’ विदेश और रक्षा वार्ता में राजनाथ सिंह के अलावा, विदेश मंत्री एस जयशंकर, उनके रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव और रूसी रक्षा मंत्री जनरल सर्गेई शोयगू ने भाग लिया। मंत्रियों ने रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण द्विपक्षीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर व्यापक चर्चा की।
रक्षा मंत्री ने कहा, ‘भारत की विकास आवश्यकताएं विशाल हैं तथा उसकी रक्षा चुनौतियां वैध, वास्तविक और फौरी हैं। भारत को ऐसे भागीदारों की आवश्यकता है जो देश की आकांक्षाओं एवं आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशील हों और प्रतिक्रिया दे सकें।’ सिंह ने यह भी आशा व्यक्त की कि रूस इन बदलती परिस्थितियों में भारत के लिए एक प्रमुख भागीदार बना रहेगा।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत एवं रूस के संबंध बदल रहे विश्व में ‘बहुत करीबी एवं समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं।’ विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि अफगानिस्तान की स्थिति का मध्य एशिया सहित सभी के लिए व्यापक प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा, ‘कोविड-19 महामारी ने विश्व के समक्ष कई सवाल खड़े किए हैं। लेकिन लंबे समय से चली आ रही चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं और यहां तक कि नयी चुनौतियां भी उभरी हैं जिनमें आतंकवाद, हिंसक उग्रवाद और कट्टरता प्रमुख हैं।’
28 समझौतों पर हस्ताक्षर, अमेठी में बनेंगी एके-203 असाल्ट राइफलें
भारत और रूस ने आपसी साझेदारी विस्तारित करने के लिए सोमवार को 28 समझौतों पर हस्ताक्षर किए। साथ ही, आतंकवाद से खतरा एवं अफगानिस्तान में उभरती स्थिति जैसी बड़ी चुनौतियों से निपटने में सहयोग व समन्वय बढ़ाने का संकल्प लिया। दाेनों देशों के बीच 4 रक्षा सौदे किए गये। इनमें सबसे अहम इंडिया-रशिया राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड (आईआरपीएल) के माध्यम से उत्तर प्रदेश के अमेठी में 6 लाख से अधिक एके-203 असाल्ट राइफलों के निर्माण को लेकर है। भारतीय सशस्त्र बलों के लिए इन राइफलों का निर्माण करीब 5000 करोड़ रुपये की लागत से किया जाएगा। दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग समझौता 10 साल (2021-31) के लिए बढ़ाने का भी करार किया गया है। इन रक्षा समझौतों पर भारत-रूस अंतर सरकारी सैन्य एवं सैन्य तकनीक संबंधी आयोग की 20वीं बैठक के दौरान हस्ताक्षर किए गये। बैठक की सह अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उनके रूसी समकक्ष जनरल सर्गेइ शोइगु ने की। बैठक में सैन्य उपकरणों के संयुक्त उत्पादन को बढ़ाने सहित सामरिक सहयोग में वृद्धि करने के तरीकों को लेकर चर्चा की गयी।