नयी दिल्ली, 28 जनवरी (ट्रिन्यू/एजेंसी)
किसान आंदोलन के साये में संसद का बजट सत्र शुक्रवार से शुरू हो रहा है। संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद अभिभाषण देकर बजट सत्र की शुरुआत करेंगे। एक फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करेंगी। वहीं कांग्रेस समेत 16 विपक्षी दलों ने आंदोलनरत किसानों के समर्थन में राष्ट्रपति के अभिभाषण के बहिष्कार का संयुक्त रूप से फैसला किया है। दूसरी ओर आम आदमी पार्टी और अकाली दल ने भी राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार करने का ऐलान किया।
गणतंत्र दिवस पर राजधानी में हुई हिंसा और विपक्षी दलों के तेवरों से बजट सत्र के हंगामेदार रहने के पूरे आसार हैं। मानसून सत्र की तरह इस सत्र की बैठकें भी कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए होंगी। इसमें शामिल होने के लिए सभी सांसदों व अन्य को संसद भवन में तभी प्रवेश मिलेगा, जब उनके पास काेरोना टेस्ट की नेगेटिव रिपोर्ट होगी। बहरहाल, कांग्रेस समेत 16 विपक्षी दलों ने एक बयान जारी कर कहा, ‘किसानों की मांगों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा सरकार अहंकारी, अड़ियल, अलोकतांत्रिक बनी हुई है। सरकार की असंवेदनशीलता से स्तब्ध हम विपक्षी दलों ने तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग दोहराते हुए और किसानों के प्रति एकजुटता प्रकट करते हुए यह फैसला किया है कि राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार किया जाएगा।’
बयान में कहा गया है कि कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, नेशनल काॅन्फ्रेंस, द्रमुक, तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना, सपा, राजद, माकपा, भाकपा, आईयूएमएल, आरएसपी, पीडीपी, एमडीएमके, केरल कांग्रेस (एम) और एआईयूडीएफ ने संयुक्त रूप से यह फैसला किया है।
बहिष्कार का निर्णय दुर्भाग्यपूर्ण
नयी दिल्ली (एजेंसी) : संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बृहस्पतिवार को विपक्षी दलों द्वारा संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण के बहिष्कार के फैसले को बहुत दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए उनसे अपने फैसले पर फिर से विचार करने की अपील की। जोशी ने संवाददाताओं ने कहा कि विपक्षी दलों ने अभिभाषण का बहिष्कार करने को लेकर जो मुद्दे बताये हैं, उन्हें धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान भी उठाया जा सकता है। राष्ट्रपति दलगत राजनीति से ऊपर होते हैं और विपक्ष के तौर पर भाजपा ने कभी भी राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार नहीं किया।