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सम्मान की दिशा में कदम मुंबई के श्री सिद्धिविनायक मंदिर में ड्रेस कोड लागू कर एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। अब श्रद्धालुओं को सभ्य कपड़े पहनने होंगे छोटे, कटे-फटे या खुले नहीं। यह कदम मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं...
वैश्विक स्वास्थ्य पर असर डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन से बाहर निकलने और उसकी वित्तीय सहायता बंद करने का निर्णय लिया, यह आरोप लगाते हुए कि संगठन ने कोविड-19 के प्रसार की सही...
मतदाता की भूमिका पच्चीस जनवरी के दैनिक ट्रिब्यून में डॉ. सुधीर कुमार का लेख ‘जागरूकता के साथ जिम्मेदारी भी जरूरी’ लोकतंत्र की रक्षा के लिए मतदाताओं की जिम्मेदारी याद दिलाने वाला था। लोकतंत्र की सफलता का आधार स्वतंत्र, निष्पक्ष और...
अर्थव्यवस्था को चुनौती चीनी माल का आयात भारतीय निर्माताओं के लिए एक बड़ी चुनौती है। चीन से आयातित माल की कीमतें बहुत कम होती हैं, जिससे भारतीय निर्माताओं को कड़ी टक्कर मिलती है। इसके अलावा, कई वस्तुएं तो कच्चे माल...
प्रेरणादायक पहल मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा उज्जैन सहित सभी धार्मिक स्थलों पर शराबबंदी लागू करना एक ऐतिहासिक कदम है। यह निर्णय न केवल धार्मिक स्थलों की पवित्रता बनाए रखेगा, बल्कि समाज में नशामुक्ति का संदेश भी देगा। इससे युवाओं...
कुप्रथा को बदलें चौबीस जनवरी के संपादकीय ‘मुफ्त का चन्दन’ में चुनावों में मुफ्त की रेवड़ियां बांटने पर जो चिंता जाहिर की गई है, वह वाज़िब ही है। यह नीति लोगों को अकर्मण्य बनाकर मेहनत और स्वाभिमान को कमजोर करती...
ट्रंप की नीतियों का असर डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण के बाद विश्व शांति, युद्धों को रोकने के अलावा अमेरिका की सेना को विदेश भेजने के खिलाफ वादे किए। उन्होंने अमेरिकी अर्थव्यवस्था को...
प्रभावी तंत्र जरूरी बीस जनवरी का दैनिक ट्रिब्यून में संपादकीय ‘हादसों की सड़क’ विश्लेषण करने वाला था। खराब सड़कों के कारण सड़क दुर्घटनाओं में भारत पहले स्थान पर है, जो शर्मनाक है। हालांकि सीसीटीवी कैमरे, जुर्माना और सिगनल जैसे उपाय...
मोटापे का खतरा संपादकीय ‘मोटापा सब पे भारी’ में उल्लेख है कि आरामतलबी जीवनशैली, शारीरिक श्रम की कमी और अनियमित दिनचर्या से मोटापा बढ़ रहा है, जो शरीर के लिए नुकसानदायक है। ये अन्य बीमारियों को जन्म देता है। युवा...
गो सेवा का धन पंजाब में आवारा पशुओं, विशेषकर गायों के कारण सड़क दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं। सरकारी योजनाओं और टैक्स वसूली के बावजूद गाय सेवा के लिए सही तरीके से काम नहीं हो रहा। भाजपा-अकाली शासन में करीब 600...
सुरक्षा की खामियां मुंबई के बांद्रा में सैफ अली खान पर जानलेवा हमले से देश की आर्थिक राजधानी में बढ़ती असुरक्षा और अपराधियों के बढ़ते हौसले उजागर हो रहे हैं। जब बड़ी हस्तियां सुरक्षित नहीं, तो आम आदमी की सुरक्षा...
शराब के दुष्प्रभाव पंजाब समेत अन्य राज्यों की सरकारें शराब को बढ़ावा दे रही हैं, जबकि इसके विनाशकारी परिणाम सामने आ रहे हैं। हाल ही में लोहड़ी के दिन पंजाब में शराब के कारण कई सड़क दुर्घटनाएं, पारिवारिक झगड़े और...
महिलाओं का मतदान संपादकीय ‘महिला योजनाओं पर भरोसा’ में उल्लेख है कि महिलाओं की साक्षरता में वृद्धि से मतदान प्रतिशत में बढ़ोतरी हुई, और एससी-एसटी वर्ग ने भी निर्णायक भूमिका निभाई। दिल्ली में भी केजरीवाल सरकार ने महिलाओं को प्रतिमाह...
सावधानी से उपयोग बदलते दौर में नई टेक्नोलॉजी के साथ, कम्प्यूटर और इंटरनेट की अहमियत भी बढ़ गई है। मोबाइल के नए-नए स्वरूपों ने न केवल ग्राहकों को आकर्षित किया है बल्कि बच्चे भी इससे अछूते नहीं हैं। कोविड-19 के...
किसान की स्थिति ग्यारह जनवरी के दैनिक ट्रिब्यून में पंकज चतुर्वेदी का लेख ‘फसल खुद नष्ट कर रहे हैं किसान’ में किसानों की संकटपूर्ण स्थिति पर ध्यान दिलाया गया है। उन्हें फसलों का उचित मूल्य नहीं मिल रहा और वे...
एफडीआई की संभावनाएं सात जनवरी के दैनिक ट्रिब्यून में डॉ. जयंतीलाल भंडारी के लेख में भारत की विकास दर, सेंसेक्स की बढ़त, और राजनीतिक स्थिरता के बीच विदेशी प्रत्यक्ष निवेश बढ़ाने की संभावनाएं उजागर की गई हैं। 2025 तक एफडीआई...
डिजिटल शिक्षा का विस्तार डिजिटलाइजेशन के दौर में यह जरूरी है कि हर बच्चे को कम्प्यूटर और इंटरनेट का ज्ञान हो। सरकार ने सरकारी स्कूल खोलकर समाज के निम्न वर्ग के बच्चों को शिक्षा की सहूलियत तो दी है, लेकिन...
साइबर फ्रॉड पर कार्रवाई साइबर पुलिस ने बीते साल 1 जनवरी से 15 दिसंबर तक 190 साइबर ठगों को गिरफ्तार कर 10 करोड़ की रकम फ्रीज की और 59 लाख रुपये पीड़ितों को लौटाए। इस कार्रवाई में सात राज्यों में...
दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति तीन जनवरी के दैनिक ट्रिब्यून के संपादकीय में बांग्लादेश के नायक, शेख मुजीबुर्रहमान की बेटी शेख हसीना के शासन में कट्टरपंथी तत्वों द्वारा उनके पिता की प्रतिमा तोड़े जाने, देश की करेंसी से उनका नाम हटाने की मांग...
भारत विरोधी रुख संपादकीय ‘निशाने पर मुजीब’ में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के अलोकतांत्रिक कदमों की आलोचना की गई है। शेख मुजीबुर्रहमान के योगदान को नकारते हुए उनके चित्र हटाना, पाठ्यक्रम में बदलाव और छुट्टियां रद्द करना निंदनीय है। बांग्लादेश...
नया साल, नए संकल्प एक जनवरी के दैनिक ट्रिब्यून में सम्पादकीय लेख में ‘संकल्पों का नया साल में ऐसा हो जीवन कि न रहे कोई मलाल’ तार्किक लगा। कोई साल अच्छा-बुरा नहीं होता, उसके दौरान उत्पन्न होने वाली परिस्थितियां उसकी...
उल्लास और जिम्मेदारियां ‘संकल्पों का नया साल’ संपादकीय में नए साल की परंपरा और उसके उल्लास पर चर्चा की गई है। सर्दियों में नया वर्ष मनाने की वजह यह है कि लोग जोश में आकर अपनी चिंताओं को भूल जाते...
लापरवाही और जिम्मेदारी इकतीस दिसंबर को प्रकाशित दैनिक ट्रिब्यून का संपादकीय ‘मौत के बोरवेल’ में उल्लेख है कि सुप्रीम कोर्ट ने 2010 में सभी राज्यों को निर्देश दिए थे, लेकिन अनदेखी के कारण घटनाएं नियंत्रित नहीं हो सकीं। बोरवेल खोदने...
अपूरणीय क्षति अट्ठाईस दिसंबर के दैनिक ट्रिब्यून का संपादकीय ‘एक युगीन राजनेता’ डॉ. मनमोहन सिंह के विगत जीवन के विभिन्न पहलुओं की व्याख्या करने वाला था। देश में आर्थिक सुधार करके न केवल देश का विकास किया बल्कि दुनिया को...
मांगें पूरी कीजिए उनतीस दिसंबर के दैनिक ट्रिब्यून में प्रकाशित खबर ‘डल्लेवाल को अस्पताल जाने...’ में बताया गया है कि किसानों की मांगों को लेकर जगजीत सिंह डल्लेवाल आमरण अनशन पर हैं और उनकी स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है।...