21 नवंबर के दैनिक ट्रिब्यून में राजकुमार सिंह के लेख ‘विपक्ष को दिशा दे पाएगी दिशाहीन कांग्रेस’ के संदर्भ में पूछा जा सकता है कि पश्चिम बंगाल तथा अन्य राज्यों में चुनावी समर में 2014 के उपरांत एक के बाद एक चुनाव हारने वाली कांग्रेस क्या अन्य दलों को दिशा प्रदान कर सकेगी? पिछले चुनावी अनुभव को देखते हुए तो लगता है कि कांग्रेस दरबारी संस्कृति से ग्रस्त है। बिहार विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की शर्मनाक हार से पार्टी का भविष्य अंधकारमय लगता है। असल में कांग्रेसी नेतृत्व कमजोर है। नि:संदेह कांग्रेस विपक्ष को कोई दिशा नहीं दिखा सकती।
शामलाल कौशल, रोहतक
आत्मविश्वास की जीत
अमेरिका में उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनी गयी कमला हैरिस ने अपनी आत्मकथा में जिक्र किया है कि उनकी मां यह अच्छी तरह जानती थी कि वह दो ब्लैक बेटियों को बड़ी कर रही है। अमेरिकी समाज उन्हें ब्लैक लड़कियों के तौर पर ही देखेगा। लेकिन वह इस बात को लेकर दृढ़ थी कि वह अपने बेटियों की परवरिश इस तरह करेगी कि वे आत्मविश्वासी ब्लैक महिला के तौर पर दुनिया के सामने आएं। उसने सारी दुनिया को बता दिया कि बेटियां भी बेटों से कम नहीं हैं। हमारे देश की रूढ़िवादी परंपराओं के मकड़जाल में उलझी महिलाओं को इनसे सबक लेना चाहिए।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर
सुध ले सरकार
बड़ी संख्या में किसान दिल्ली के लिए प्रस्थान कर रहे हैं, जो एक नकारात्मक बिंदु है। कोरोना से लड़ना पहली प्राथमिकता है। सरकार को इस महत्वपूर्ण युग में एकता बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए और किसानों और उनकी मांगों को भी सुनना चाहिए, ताकि उनकी सहमति के अनुसार निर्णय लिया जाए। कोरोना मामलों में उच्च वृद्धि के कारण बाद में पछताने के बजाय सरकार को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए। इसके अलावा, किसानों को हमारे देश का भविष्य माना जाता है, अगर किसान खुश नहीं हैं तो देश का भविष्य कैसे खुशहाल होगा।
निष्ठा, यमुनानगर