शिमला, 3 अप्रैल (निस)
हिमाचल प्रदेश में इस साल देश के अन्य हिस्सों की तर्ज पर ही गर्मी ने समय से पहले दस्तक दे दी है। हिमाचल में मार्च महीने में ही लोगों को जहां लू जैसे हालात का सामना करना पड़ा, वहीं अप्रैल के शुरू में स्थिति और भी गंभीर हो गई है तथा राज्य के मैदानी इलाकों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। यही नहीं राज्य के लगभग एक दर्ज शहरों का तापमान 30 और 40 डिग्री के बीच में दर्ज किया जा रहा है। नतीजतन अप्रैल महीने में ही प्रदेश में जंगल धू-धू कर जल रहे हैं और वनों में आग की घटनाएं दिनोंदिन बढ़ रही है। इसे देखते हुए राज्य के वन महकमे ने पहली अप्रैल से ही प्रदेश में फायर सीजन मान लिया है और अपने कर्मचारियों तथा अधिकारियों की छुट्टियां रद्द कर दी हैं ताकि वनों में आग लगने की घटनाओं से प्रभावी ढंग से निपटा जा सके। विभाग के इस फैसले के बाद अब केवल इमरजेंसी में ही कर्मचारियों व अधिकारियों को छुट्टियां मिलेगी।
गौरतलब है कि हिमाचल में वन विभाग वनों में आग की घटनाओं के दृष्टिगत पहली मई से फायर सीजन परंपरागत तौर पर मानता है और इसी लिहाज से वनों के आग से निपटने के लिए तैयारियां भी की जाती है लेकिन इस वर्ष एक महीने पहले ही वन विभाग को फायर सीजन की घोषणा करनी पड़ी है क्योंकि प्रदेश में मार्च और अप्रैल महीने में मई और जून जैसे हालात पैदा हो गए हैं।
हिमाचल प्रदेश वनों के आग की दृष्टि से काफी संवेदनशील हैं। बीते वर्ष राज्य में वनों में आग की 883 घटनाएं दर्ज की गई थी और इनमें 176 करोड़ रुपए से अधिक की वन सम्पदा जलकर राख हो गई थी। हालांकि वर्ष 2021 में प्रदेश में गर्मियों का सीजन बहुत कम समय रहा था। इसकी तुलना में इस बार हिमाचल प्रदेश में गर्मियों का सीजन निर्धारित समय से काफी पहले ही शुरू हो गया है। ऐसे में वनों में आग की संभावनाएं ज्यादा बढ़ गई है।