अजय मल्होत्रा/हप्र
भिवानी, 28 नवंबर
अमरूत योजना के तहत भिवानी में करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद बरसाती पानी की निकासी की समस्या जस की तस बनी हुई है। जल निकासी योजना में खामियों का मुद्दा अब मुख्यमंत्री दरबार में पहुंच गया है। इस मामले में विपक्ष ने सवाल उठाए हैं और जांच की मांग की है। मनोहर सरकार के पहले कार्यकाल में शहर में जलभराव की समस्या के निपटारे के लिए अमरूत योजना के तहत कार्य करवाने का निर्णय हुआ था। बरसाती पानी निकासी व पेयजल समस्या के समाधान के लिए 63 करोड़ रुपए तीन साल पहले आवंटित किए गए थे। सरकार ने इस परियोजना की प्रोजेक्ट रिपोर्ट का कार्य एक एजेंसी को सौंपा। जिसमें कुछ सेवानिवृत्त अधिकारी शामिल हैं।
जन निकासी के लिए जनस्वास्थ्य विभाग की प्रोजेक्ट रिपोर्ट को दरकिनार कर निजी एजेंसी ने अपने हिसाब से परियोजना तैयार की। जिसमें आधे से ज्यादा शहर के उस भाग को शामिल किया गया, जिसमें जलभराव की ज्यादा समस्या नहीं थी। जन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जहां ज्यादा जलभराव है, वहां निकासी की कोई लाइन नहीं डाले जाने से समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है। विभाग का कहना है कि अमरूत योजना के तहत जलघर परिसर में बनाए गए 179 एमएलडी के पम्पिंग स्टेशन से महम रोड होते हुए जालान चौक, रोहतक गेट, बावड़ी गेट व दादरी गेट तक पानी निकासी की लाइन डलनी चाहिए थी। अगर प्रोजेक्ट बनाने वाली एजेंसी ने उनसे राय ली होती तो वे इस परियोजना को शामिल जरूर करते। शहरवासियों का कहना है कि सरकार को योजनाओं पर नजर रखनी चाहिए।
सबसे अधिक प्रभावित इलाके छोड़े
एजेंसी द्वारा जलभराव के शहर के सबसे अधिक प्रभावित इलाकों रोहतक गेट से दादरी गेट, दादरी गेट से हनुमान गेट, जालान चौक, एमसी कालोनी, तेलीवाड़ा, रविदास मंदिर मार्ग, नया बाजार, विकास नगर, बजरंग बली नगर, सराय चौपटा, कन्हीराम अस्पताल सहित एक दर्जन इलाकों को परियोजना में शामिल ही नहीं किया गया । इन इलाकों में शहर के सबसे ज्यादा पानी जमा होता है यहां तक कि कई बार तो 24-24 घंटे भी पानी की निकासी नहीं हो पाती। हर वर्ष बरसात के दौरान जलभराव के कारण लोगों को भारी नुकसान भी उठाना पड़ रहा है।
सीएम तक पहुंचा मामला
गत सप्ताह मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने भिवानी शहर का अचानक दौरा किया था। इस दौरान उनके साथ भिवानी के सांसद धर्मबीर व विधायक घनश्याम सर्राफ थे। इस दौरे के दौरान भी यह मुद्दा उनके समक्ष आया। इसके बाद सांसद धर्मबीर ने तीन दिन पूर्व दादरी गेट क्षेत्र जहां सबसे ज्यादा पानी जमा होता है, वहां के निवासियों से मुलाकात की थी। इसके बाद जन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को नयी परियोजना बनाने के निर्देश दिए थे।
जलभराव नहीं, फिर भी करोड़ों खर्च
कई ऐसे इलाके इस परियोजनों में शामिल कर लिए गए जहां जलभराव ही नहीं होता। जिनमें महम रोड, विद्या नगर, कीर्ति नगर, कोर्ट रोड, पालुवास गांव के साथ लगता इलाका शामिल है। इस कार्य पर करोड़ों रुपए खर्च हुए। यह भी आरोप है कि इन इलाकों में बरसाती पानी की लाइनें, इसलिए डाली गई क्योंकि यहां पर काम करने में रूकावटें कम थी, जिसका सीधा फायदा ठेकेदार को हुआ। इसमें ठेकेदार की लागत कम और उसे मुनाफा ज्यादा मिलना लाजिमी था।
ये है परियोजना
हरियाणा में अटल मिशन फॉर रिज्युविनेशन एंड अर्बन ट्रांस फॉर्मेशन (अमरुत) परियोजना के तहत 18 शहरों की अनुमोदित विस्तृत परियोजनाओं में से 2354 करोड़, 36 लाख रुपए की 44 डीएनआईटी के कार्य अलाट किए गए थे। अमरुत परियोजना की राज्य वार्षिक कार्ययोजना के तहत 18 शहरों जिनमें अम्बाला, करनाल, पंचकुला, सोनीपत, गुरूग्राम, जींद, यमुनानगर, कैथल, थानेसर, फरीदाबाद, पलवल, रोहतक, हिसार, सिरसा, बहादुरगढ़, रेवाड़ी, पानीपत तथा भिवानी को शामिल किया गया था। यहां जलापूर्ति, सीवरेज प्रबंधन, पानी की निकासी, ग्रीन स्पेस और पार्क, शहरी परिवहन के कार्य किए जा रहे हैं।
नयी कालोनियों में डाल दी पानी की लाइन
अमरूत योजना के तहत जहां करोड़ों रुपए ऐसे इलाकों में खर्च किया गया जहां जरूरत ही नहीं थी। वहीं कुछ सत्तापक्ष के नेताओं के कहने पर कुछ ऐसी नई काटी गई कालोनियों में भी पेयजल की लाइनें डाल दी गई, जिन पर अभी वैध और अवैध की तलवार लटक रही है। यह भी आरोप है कि ये कालोनियां अवैध रूप से काटी गई हैं।
रिपोर्ट की अनदेखी
जन स्वास्थ्य विभाग के अभियंता महेंद्र कुमार का कहना है कि अमरूत योजना का प्रोजेक्ट पूरी तरह से एक एजेंसी द्वारा तैयार किया गया था और निर्माण कार्य नगर परिषद द्वारा करवाया गया। अगर जन स्वास्थ्य विभाग इस परियोजना को बनाता तो स्वभाविक तौर पर शहर के सर्वाधिक जलभराव वाले इलाकों को इस परियोजना में शामिल किया जाता। उन्होंने कहा कि सांसद के निर्देश के बाद अब जो इलाके छूट गए हैं उनकी एक प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की गई है।
हमें तो टेंडर मिला था
नगर परिषद के अभियंता सुरेंद्र सांगवान का कहना है कि प्रोजेक्ट रिपोर्ट निजी एजेंसी ने तैयार करके सरकार को दी थी। नगर परिषद ने तो केवल टेंडर मिलने पर काम करवाया है। साथ ही कहा कि अगर सरकार द्वारा अमरूत या किसी अन्य योजना के तहत किसी नए प्रोजेक्ट को मंजूरी दी जाती है तो उस पर कार्य होना स्वभाविक है। उन्होंने साथ ही कहा कि अमरूत योजना के तहत डाली नई पाइप लाइनों का अब की बार आधे शहर को फायदा जरूर मिला है।
नहीं मिली राहत
लेबर क्रांति मोर्चा के अध्यक्ष राजेंद्र तंवर ने अमरूत परियोजना पर सवालिया लगाते हुए कहा है कि पूरी परियोजना के क्रियांवन में भ्रष्टाचार हुआ है। उन्होंने कहा कि जान बूझकर ऐसे कई इलाकों में पाइप लाइनें डाली गई है जहां जरूरत ही नहीं थी। उन्होंने कहा कि लंबे समय से जलभराव की मार झेल रहे इलाकों को इस परियोजना से बाहर रखा गया है। उन्होंने कहा कि करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद शहरवासियों को जलभराव से कोई राहत नहीं मिली है।
अब बनी 6 करोड़ की नयी परियोजना
मुख्यमंत्री के दौरे के बाद जन स्वास्थ्य विभाग द्वारा अब 6 करोड़ रुपए की नई परियोजना बनाई गई है। जिसके तहत दादरी गेट, बावड़ी गेट, रोहतक गेट, सब्जीमंडी, जालान चौक, विकास नगर आदि इलाकों का पानी महम रोड के जरिए बड़ चौक पर लाया जाएगा। जिसे जलघर में स्थित हाल ही में अमरूत योजना के तहत बने 179 एमएलडी के पम्पिंग स्टेशन से जोड़ा जाएगा।
दूसरे फेज में बचे इलाकों में होगा काम
भिवानी-महेंद्रगढ़ के भाजपा सांसद धर्मबीर सिंह का कहना है कि अमरूत योजना के तहत जो इलाके बरसाती सीवरेज से वंचित रह गए हैं, वहां लाइन डलवाने के लिए अधिकारियों को प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाने के आदेश गए हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि अमरूत योजना के दूसरे फेज में सभी बचे हुए इलाको में सीवरेज व पेयजल की दिक्कतें दूर की जाएंगी। उन्होंने उम्मीद व्यक्त की कि नए वर्ष में सरकार अमरूत के नए प्रोजेक्ट को मंजूरी दे देगी।
स्थानीय निकाय मंत्री से जांच की मांग
पूर्व जन स्वास्थ्य मंत्री किरण चौधरी का कहना है कि उनके कार्यकाल में शहर में जो सीवरेज के कार्य करवाए गए थे, उनकी तो वर्तमान सरकार मरम्मत तक नहीं करवा पाई है। उन्होंने यह भी कहा कि अमरूत योजना के तहत गलत ढंग से खर्च किए गए करोड़ों रुपए का मामला मुख्यमंत्री के समक्ष उठाया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस पूरी परियोजना में भ्रष्टाचार हुआ है और इसकी जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जल निकासी के लिए प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाने में लापरवाही बरती गई है। जिससे शहरवासियों को मिलने वाला लाभ नहीं मिल सका है। उन्होंने साथ ही प्रदेश के स्थानीय नगर निकाय मंत्री अनिल विज से भी मामले की जांच करवाने की मांग की।
स्थानीय निकाय मंत्री से जांच की मांग
पूर्व जन स्वास्थ्य मंत्री किरण चौधरी का कहना है कि उनके कार्यकाल में शहर में जो सीवरेज के कार्य करवाए गए थे, उनकी तो वर्तमान सरकार मरम्मत तक नहीं करवा पाई है। उन्होंने यह भी कहा कि अमरूत योजना के तहत गलत ढंग से खर्च किए गए करोड़ों रुपए का मामला मुख्यमंत्री के समक्ष उठाया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस पूरी परियोजना में भ्रष्टाचार हुआ है और इसकी जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जल निकासी के लिए प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाने में लापरवाही बरती गई है। जिससे शहरवासियों को मिलने वाला लाभ नहीं मिल सका है। उन्होंने साथ ही प्रदेश के स्थानीय नगर निकाय मंत्री अनिल विज से भी मामले की जांच करवाने की मांग की।