पानीपत, 25 अप्रैल (हप्र)
गेहूं की कटाई के बाद जिला के बहुत से किसान बेलदार सब्जियां घीया, तोरी, करेला, टिंडा व खीरा आदि की बिजाई करने के लिये जमीन की जोताई कर रहे हैं और गेहूं वाली भूमि में बेलदार साब्जियां लगाने का यही अनुकूल समय चल रहा है।
हालांकि जिला के प्रगतिशील किसानों को छोड़कर ज्यादातर अन्य किसान आम तौर पर पुरानी पद्धति से ही जमीन पर ही इन सब्जियों की बिजाई करते हैं, जिससे इन सब्जियों की पैदावार कम होती है और फसल में खरपतवार भी ज्यादा होने की संभावना होती है। बागवानी विभाग की कई टीमों ने अब पिछले काफी दिनों से गांव-गांव में जाकर किसानों को बेलदार सब्जियों की पुरानी पद्धति को छोड़कर संरक्षित खेती के तहत सूक्ष्म सिंचाई, मलचिंग व बांस यानि स्टेकिंग को अपनाने की जानकारी दी जा रही है। बागवानी विभाग द्वारा बेलदार सब्जियों की संरक्षित पद्धति से खेती करने पर अनुदान दिया जाता है। बांस वाली खेती स्टेकिंग तकनीक में बेलदार सब्जियों की लताओं को लकड़ी के बांस के सहारे रस्सियों से जमीन से ऊपर बांधा जाता है। विभाग के अधिकारियों के अनुसार इससे सब्जियों की पैदावार ज्यादा होती है। जमीन से छूकर सब्जियां खराब नहीं होती और सब्जियां मेड़ों पर बोई जाती हैं, जिससे खरपतवार भी कम उगते हैं। बागवानी विभाग के डीएचओ डा. शार्दूल शंकर के नेतृत्व में बेलदार सब्जियों को लेकर चलाये गये इस जागरूकता अभियान के साकारात्मक परिणाम सामने आये हैं और जिला के अनेक किसानों ने संरक्षित खेती की तकनीक अपनाकर बेलदार सब्जियों की खेती करने का फैसला लिया गया है। अनेक किसान बागवानी विभाग के पानीपत नयी अनाज मंडी स्थित जिला कार्यालय और ब्लाक कार्यालयों में पहुंचकर संरक्षित खेती के अंतर्गत दिये जाने वाले अनुदान की जानकारी ले रहे हैं।
किसानों को होगा ज्यादा लाभ : डीएचओ
डीएचओ डा. शार्दूल शंकर ने बताया कि संरक्षित खेती के अंतर्गत बेलदार सब्जियों के लिये मलचिंग पर 6400 रुपये प्रति एकड़ और बांस यानि स्टेकिंग पर 31250 रुपये प्रति एकड़ सामान्य वर्ग के किसान को और एससी जाति के किसान को 53125 रुपये प्रति एकड़ अनुदान विभाग द्वारा दिया जाता है। इस तकनीक से बेलदार सब्जियों की खेती करके किसानों को ज्यादा आमदनी होगी।