दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 23 मार्च
हरियाणा विधानसभा का बजट सत्र बुधवार को संपन्न हो गया। सत्र के दौरान कई अहम मुद्दे उठे, ध्यानाकर्षण प्रस्ताव और पक्ष-विपक्ष की बहस भी हुई। इस दौरान सबसे हैरानी वाली बात यह रही कि कई मंत्रियों व विधायकों ही नहीं बल्कि अधिकारियों ने भी सत्र को गंभीरता से नहीं लिया। सत्र के दौरान ऑफिसर गैलरी में अधिकारियों की गैर-मौजूदगी स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता को काफी खली है।
उन्होंने इस बाबत मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को पत्र लिखा है। उनसे सिफारिश की है कि इस बाबत प्रशासनिक अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए जाएं। उन्होंने शून्यकाल व दूसरे अहम कामकाज के दौरान मंत्रियों व विधायकों की गैर-मौजूदगी पर भी कड़ा नोटिस लिया है। स्पीकर के अनुसार, यह संसदीय परंपरा के लिए ठीक नहीं है। बृहस्पतिवार को यहां एमएलए हॉस्टल में मीडिया से मुखातिब हुए स्पीकर ने कहा कि सत्र के दौरान अधिकारियों को गंभीर होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि विधानसभा सत्र के दौरान प्रशासनिक अधिकारियों का गैलरी में रहना आवश्यक है। यहां बता दें कि शून्यकाल के दौरान पक्ष व विपक्ष के विधायक जब अहम मुद्दों को सदन में उठा रहे थे तो उस समय भी ऑफिसर गैलरी लगभग खाली थी। मंत्रियों में भी केवल संसदीय कार्य मामले मंत्री कंवर पाल गुर्जर और बिजली मंत्री चौ़ रणजीत सिंह ही मौजूद थे। बुधवार की कार्रवाई के दौरान कांग्रेस के 12, भाजपा के छह और तीन निर्दलीय विधायक ही सदन में मौजूद थे। हालांकि सदन में यह मुद्दा उठने के कुछ देर बार मंत्रियों ने एक-एक करके सदन में आना शुरू कर दिया। अधिकारियों की गैर-मौजूदगी को लेकर जब स्पीकर से सवाल किया तो उन्होंने कहा कि इस बारे में मुख्यमंत्री मनोहर लाल को पत्र लिखा है। पहले विधायकों की शिकायत रहती थी कि अधिकारी उनका फोन नहीं उठाते हैं। इस बाबत स्पीकर ने सीएम को लिखा भी था और व्यक्तिगत तौर पर मुलाकात करके भी अधिकारियों को सख्त निर्देश देने का आग्रह किया था।
सीएमओ द्वारा इसके लिए सभी प्रशासनिक सचिवों व विभाग प्रमुखों को पत्र लिखा गया था। सभी जिलों के डीसी-एसपी व दूसरे अधिकारियों को भी निर्देश दिए गए थे कि वे जनप्रतिनिधियों के फोन को गंभीरता से लें। मीटिंग या अन्य किसी भी कारणवश फोन नहीं उठा पाते तो बाद में कॉल बैक करें। इसमें थोड़ा-बहुत सुधार हुआ तो अब अधिकारियों ने विधानसभा के सत्र को ही गंभीरता से लेना छोड़ दिया। अधिकारियों की इस कार्यशैली से स्पीकर काफी नाराज नजर आए।
स्पीकर ने कहा कि सदन में यदि दो मंत्रियों व स्पीकर समेत दस विधायक हैं तो कोरम पूरा हुआ मान लिया जाता है। बुधवार को सदन में दो मंत्री और कोरम भी पूरा था, लेकिन इसके बावजूद विधायकों व मंत्रियों का सदन से गायब रहना चिंता का विषय है।
उन्हें अपनी कार्यप्रणाली में सुधार करना चाहिए। एक अन्य सवाल पर उन्होंने माना कि कुछ मंत्री पूरी तैयारी के साथ जवाब नहीं देते। उन्होंने कहा कि यह स्थिति अच्छी नहीं है। कई बार तो आंकड़ों में भी अंतर होता है। इस बारे में यदि कोई विधायक लिखित में अपनी आपत्ति दर्ज कराएगा तो वह सरकार के स्तर पर कार्रवाई के प्रयास शुरू करेंगे।
8 बैठकों में 45 घंटे चली कार्यवाही
स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता ने बताया कि विधानसभा के बजट सत्र की कुल 8 बैठकें हुईं और 45 घंटे तक सभी विधायकों ने अपने-अपने हलके की समस्याओं, मांगों, सुझावों को रखा। इससे पहले भी बजट से पूर्व विधायकों व अन्य हितधारकों से सुझाव मांगे थे। उन्होंने कहा कि 700 सुझावों में से 68 सुझावों को बजट में शामिल किया गया है। अब पहली अप्रैल से नये वित्त वर्ष की शुरुआत होगी और बजट में घोषित नई योजनाओं को क्रियान्वित किया जाएगा।