चंडीगढ़, 27 फरवरी (ट्रिन्यू)
उत्तरी भारत के लाखों खुदरा व्यापारियों और लघु उद्यमियों ने केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा ई-काॅमर्स कारोबार व ऑनलाइन बाजार चलाने वाली कंपनियों को बढ़ावा देने के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है। राष्ट्रीय जनउद्योग व्यापार संगठन (आरजेयूवीएस) ने अॉनलाइन सामान विक्रेता कंपनियों के दफ्तरों के बाहर धरना देने और दफ्तरों पर ताला लगाने का ऐलान किया है। संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित गुप्ता ने शनिवार को यहां दो दिवसीय अधिवेशन के दौरान पत्रकारों बातचीत में यह ऐलान किया।
अधिवेशन में हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, हिमाचल, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश व गुजरात आदि के लघु एवं सूक्ष्म उद्यमी और खुदरा व्यापारी भाग ले रहे हैं। उन्होंने कहा, देश में साढ़े छह करोड़ एमएसएमई यूनिट हैं। इनके माध्यम से 11 करोड़ लोगों को रोजगार दिया जा रहा है। गुप्ता के अनुसार, लघु उद्यमियों व खुदरा व्यापारियों द्वारा जीडीपी में 30 फीसदी योगदान दिया जा रहा है और 95 प्रतिशत उतपादन किया जा रहा है। देश के निर्यात में 40 प्रतिशत योगदान देने 6000 उत्पादों का उत्पादन करने के बावजूद बैंकिंग लोन में 16 प्रतिशत ही हिस्सा दिया जाता है।
राष्ट्रीय जनउद्योग संगठन के कार्यकारी अध्यक्ष अशोक बुवानीवाला ने बिजली की दरें सस्ती करने और कर्ज दिए जाने क्षमता बढ़ाए जाने की मांग करते हुए कहा, एक सर्वे के अनुसार वर्ष 2020 में ई काॅमर्स कंपनियों ने दो लाख 10 हजार करोड़ का कारोबार किया है। इसमें हर साल 27 प्रतिशत की वृद्धि हो रही है। इसके चलते वर्ष 2024 तक यह कारोबार सात लाख 30 हजार करोड़ तक पहुंच जाएगा। इससे छोटा दुकानदार, खुदरा व्यापारी और सूक्ष्म उद्यमी पूरी तरह से तबाह हो जाएगा।
संगठन के राष्ट्रीय सलाहकार संतोष मंगल ने ई-कॉमर्स अथवा ऑनलाइन कंपनियों का विरोध करने और अॉनलाइन सामान विक्रेता कंपनियों के दफ्तरों को ताला जड़ने का ऐलान करते हुए कहा, दीपावली के दौरान भारत में ई काॅमर्स कंपनियों ने 30 हजार करोड़ का कारोबार किया। जिसमें 55 फीसदी कारोबार टू-टीयर शहरों का था। वहीं संगठन की युवा इकाई के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गुप्ता ने कहा कि ऑनलाइन शॉपिंग करने वालों में 65 फीसद युवा वर्ग है। आरजेयूवीएस के हरियाणा अध्यक्ष गुलशन डंग व महासचिव पवन अग्रवाल ने कहा, हरियाणा के सभी जिलों में ई-काॅमर्स बाजार के विरुद्ध लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाया जाएगा।