दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 11 अगस्त
हरियाणा में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़ा हुआ है। प्रदेश के लगभग 7500 किसानों के खाते से बीमा की प्रीमियम राशी ली गई लेकिन उन्हें बीमा कवर तक नहीं मिला। फसलें बर्बाद हो हुईं तो बीमा कंपनियों ने क्लेम देने से इंकार कर दिया। उनका कहना था कि इन किसानों ने फसलों का बीमा ही नहीं कराया।
जांच में पता लगा कि किसानों ने प्रीमियम दिया था लेकिन बैंकों के एजेंटों ने पैसा जमा नहीं करवाया। ऐसे में अब संबंधित बैंकों और उनके एजेंटों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। मामला केंद्र सरकार तक भी पहुंच गया है।
मामला प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के शुरूआती वर्षों यानी मोदी सरकार के पहले कार्यकाल का है। केंद्र के दखल के बाद राज्य सरकार ने मुआवजा राशि की रिकवरी संबंधित बैंकों से करने का फैसला लिया है। किसानों का 15 करोड़ से अधिक का मुआवजा वर्षों से लटका हुआ है।
14 अगस्त को विभिन्न बैंकों के प्रतिनिधियों के साथ कृषि विभाग के आला अधिकारियों की बैठक होगी। जिसमें बैंकों से भी जवाब मांगा जाएगा।
फैक्ट फाइल
खरीफ सीजन में राज्य में लगभग 14 लाख हेक्टेयर भूमि में धान की बिजाई होती है। करीब 7 लाख हेक्टेयर में कपास, लगभग साढ़े 12 लाख एकड़ में बाजरा, साढ़े 7 लाख एकड़ में ग्वार और ढाई लाख एकड़ पर गन्ने की बिजाई होती है। केंद्र सरकार से भी इस बार पीएम किसान योजना के तहत राज्य के किसानों को लगभग 200 करोड़ रुपये मिलेंगे। केंद्र यह पैसा जारी कर चुका है। अगले कुछ दिन में किसानों के बैंक खातों में यह पैसा जमा होगा। केंद्र की योजना में हरियाणा के लगभग 18 लाख किसान जुड़े हुए हैं।
” बड़ी संख्या में किसानों ने क्लेम किया था कि उन्होंने बीमा करवाया और इसके लिए प्रीमियम भी दिया लेकिन फसलों के खराब होने पर उन्हें मुआवजा नहीं मिला। सरकार ने जांच करवाई तो सामने आया कि राज्य के 7500 के लगभग किसानों के साथ धोखाधड़ी हुई है। एजेंटों ने किसानों से बीमा प्रीमियम तो ले लिया लेकिन यह राशि आगे जमा नहीं करवाई। ऐसे में किसानों को बीमा योजना का कवर मिला ही नहीं। राज्य सरकार ने इसके लिए केंद्र को भी पत्र लिखा है। मुआवजे के लगभग 15 करोड़ रुपये की रिकवरी संबंधित बैंकों से होगी। – राज्य के एक वरिष्ठ अिधकारी