दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 13 जनवरी
विकास कार्यों में धांधली और घटिया क्वालिटी के इस्तेमाल की शिकायतों पर प्रदेश सरकार ने कड़ा संज्ञान लिया है। जिलों में चल रहे और मंजूरशुदा 100 करोड़ रुपये से अधिक के सभी विकास प्रोजेक्ट का डॉटा सरकार ने तलब कर लिया है। मुख्य सचिव संजीव कौशल ने सभी जिलों के डीसी से 100 करोड़ रुपये से अधिक लागत की सभी परियोजनाओं की जानकारी भेजने के आदेश दिए हैं।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा इस बाबत चंडीगढ़ में आला अधिकारियों के साथ बैठक भी की जा चुकी है। सीएम की मंजूरी के बाद ही 100 करोड़ रुपये से अधिक की विकास परियोजनाओं की नियमित मॉनिटरिंग के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी गठित की है। इस कमेटी में कई विभागों के प्रशासनिक सचिवों के अलावा इंजीनियरिंग सहित कई विंग से जुड़े अधिकारी शामिल हैं।
अब 100 करोड़ रुपये से अधिक की सभी परियोजनाओं की समीक्षा एवं मॉनिटरिंग सरकार स्वयं करेगी। चंडीगढ़ से ही इन प्रोजेक्ट की डे-टू-डे की रिपोर्ट ली जाएगी। दिसंबर में ही सरकार ने इस बाबत सभी अधिकारियों से जानकारी मांगी थी लेकिन कुछ जिलों के अधिकारियों ने लापरवाही बरती। ऐसे में अब एक बार फिर रिमाइंडर भेजकर ऐसे अधिकारियों को फटकार भी लगाई है और दो दिन में रिपोर्ट चंडीगढ़ भेजने को कहा है।
कौशल ने दो-टूक कहा है कि अगले दो दिनों के भीतर 100 करोड़ से ऊपर की विकास परियोजनाओं की जानकारी नहीं देने वाले जिलों की कार्यप्रणाली को संदिग्ध माना जाएगा। 100 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं वाले विभागों में शहरी निकाय, पीडब्ल्यूडी, मार्केटिंग बोर्ड और बिजली विभाग प्रमुख हैं। शहरी निकायों की हालत काफी खराब हैं। नगर निगमों के पास भुगतान के लिए पैसे नहीं हैं। उन्हें अपने संसाधनों के जरिए पैसे जुटाकर खर्च करने के निर्देश सरकार की तरफ से पहले ही दिए जा चुके हैं।
इन परियोजनाओं के भुगतान के लिए जब शहरी निकायों अथवा अन्य विभागों द्वारा प्रस्ताव बनाकर मुख्यालय भेजे जाते हैं तो उन्हें वापस इस टिप्पणी के साथ लौटा दिया जाता है कि भुगतान का इंतजाम खुद करें। इस वजह से काफी परियोजनाएं या तो धीमी पड़ गई अथवा बंद होने की स्थिति में हैं। प्रदेश सरकार यह देखना चाहती है कि किस जिले में कितनी बड़ी परियोजनाएं चल रही हैं और उनका स्टेटस क्या है। बताया जाता है कि सरकार इन परियोजनाओं में तेजी लाने के साथ ही बजट का अतिरिक्त इंतजाम भी कर सकती है।