रवींद्र सैनी/ट्रिन्यू
रोहतक, 17 मई
पं बीडी शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय (यूएचएस) में कल 5वीं और अंतिम काउंसलिंग के बाद बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी (बीडीएस) पाठ्यक्रम के लिए 64 प्रतिशत से अधिक सीटें खाली रह गई हैं, जिससे निजी कॉलेज निराश हैं। राज्य में एक सरकारी सहित आठ संस्थानों में कुल 550 सीटें थीं, लेकिन केवल 194 सीटें भरी गईं और शेष 356 सीटें खाली रहीं। ये सभी सीटें 7 निजी कॉलेजों के प्रबंधन कोटे से संबंधित हैं।
सरकारी क्षेत्र में नौकरियों की घटती संभावना, निजी कॉलेजों में अत्यधिक शुल्क, लोगों में मौखिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता की कमी और निजी क्षेत्र में कोई आकर्षक कमाई नहीं होना कुछ प्रमुख कारण हैं, जिनके चलते बीडीएस के प्रति मेडिकल छात्रों की प्रतिक्रिया ठंडी रही है, जबकि एक दशक पहले उस वक्त काफी मांग थी, जब चिकित्सा संस्थानों की संख्या नाममात्र थी। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा पहली बार हुआ है जब निजी संस्थान 50 फीसदी सीटें भी भरने में विफल रहे हैं।
पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ डेंटल सर्जरी (पीजीआईडीएस), रोहतक राज्य का एकमात्र संस्थान है, जिसकी सभी 100 सीटें भर चुकी हैं जबकि 85 यमुना इंस्टीट्यूट ऑफ डेंटल साइंसेज एंड रिसर्च, गढ़ोली (यमुनानगर) में मैनेजमेंट कोटे की सीटें, स्वामी देवी दयाल हॉस्पिटल एंड डेंटल कॉलेज में पंचकूला में 82 सीटें, पीडीएम कॉलेज, बहादुरगढ़ में 80 सीटें, जन नायक चौ देवी लाल डेंटल कॉलेज, सिरसा में 42 सीटें खाली पड़ी हैं। एसजीटी डेंटल कॉलेज, गुरुग्राम में 33 सीटें, सुधा रुस्तगी कॉलेज ऑफ डेंटल साइंसेज एंड रिसर्च, फरीदाबाद में 20 सीटें, जेएन कपूर डीएवी सेंटेनरी डेंटल कॉलेज, यमुनानगर में 17 सीटें रिक्त हैं। सूत्रों ने कहा, पीजीआईडीएस रोहतक में सभी सीटों के भरने का कारण अच्छी प्रतिष्ठा और आधुनिक सुविधाओं की उपलब्धता थी।
सूत्रों का कहना है कि इस साल फरवरी में बीडीएस पाठ्यक्रम के लिए पहली काउंसलिंग आयोजित की गई थी। निजी कॉलेजों को अच्छी प्रतिक्रिया की उम्मीद थी, लेकिन पहली काउंसलिंग में लगभग 25 फीसदी सीटें भरने के बाद उम्मीदें धराशायी हो गईं। इसके बाद, 4 और काउंसलिंग की गईं, लेकिन परिणाम निराशाजनक रहे। डॉ. अशोक चौहान, डीन, एकेडमिक अफेयर, यूएचएस ने पुष्टि की कि निजी कॉलेजों में 356 सीटें खाली हैं। उन्होंने कहा, ‘कल आयोजित 5वीं और आखिरी काउंसलिंग में केवल 7 उम्मीदवारों को प्रवेश मिला।’