पंचकूला, 28 जून (हप्र)
पानी के दो पक्ष हैं, एक पीने का पानी और दूसरा सिंचाई का पानी। पीने के पानी की तो हम बचत नहीं कर सकते। डॉक्टर भी हमें अधिक पानी पीने की सलाह देते हैं। लेकिन सिंचाई में अधिक पानी लगता है, धान, कपास और गन्ने जैसी फसलों में ज्यादा पानी प्रयोग होता है। ऐसे में हमें सूक्ष्म सिंचाई योजना को अपनाना होगा। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने मंगलवार को यहां 100 फुट से ज्यादा गहरे जल स्तर के गांवों में 7500 सूक्ष्म सिंचाई के प्रदर्शन प्लांट स्थापित करने के संबंध में आयोजित कार्यक्रम में यह बात कही। उन्होंने करनाल, अम्बाला, फतेहाबाद और कुरुक्षेत्र के किसानों से वर्चुअल माध्यम से बात की और उनके द्वारा प्रयोग में लाई जा रही सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली की जानकारी ली।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जल ही जीवन है और हमें भावी पीढ़ी के लिये जल बचाकर रखना होगा। उन्होंने कहा कि एक-एक बंूद से घड़ा भर जाता है और एक-एक बंूद सागर भी भर देती है। यह बात ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वन ड्रोप मोर क्रोप का आह्वान किया था और हमें खुशी है कि हरियाणा ने प्रधानमंत्री के इस विजन को आगे बढ़ाया है। सूक्ष्य सिंचाई एवं नहरी विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. सतबीर सिंह कादियान ने बताया कि 1 एकड़ धान से ड्रिप सिंचाई में स्थानांतरित करके पानी बचाने से 5 व्यक्तियों के परिवार को एक महीने के लिए पीने के पानी की आपूर्ति होती है।
समारोह में विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जेपी दलाल, सांसद रतनलाल कटारिया, नगर निगम महापौर कुलभूषण गोयल, सूक्ष्म सिंचाई एवं नहरी विकास प्राधिकरण की अध्यक्ष केशनी आनंद अरोड़ा व अन्य अधिकारी मौजूद रहे।
धान की बजाय अब उग रही दूसरी फसलें
मुख्यमंत्री ने कहा कि रसायनिक खादों के अधिक उपयोग व भूजल के दोहन से हम खाद्यानों के मामले में आत्मनिर्भर बन गये हैं लेकिन अब हमें दूसरे विकल्प की ओर जाना होगा। सूक्ष्म सिंचाई उसी दिशा में बढ़ाया गया कदम है। उन्होंने कहा कि किसानों का ‘मेरा पानी मेरी विरासत’ योजना के प्रति रुझान बढ़ा है और प्रदेश के धान बहुल जिलों में किसानों ने धान के स्थान पर अन्य वैकल्पिक फसलें उगाना आरंभ किया है। इस योजना के तहत पहले वर्ष में 98 हजार एकड़ में धान की जगह अन्य फसलें उगाई गई और इस बार 2 लाख एकड़ में दूसरी फसलें उगाने का लक्ष्य रखा गया है।