फरीदाबाद, 24 मार्च (हप्र)
उज्बेकिस्तान 35वें अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड मेले का सहभागी देश है और इस देश से आई डा. खोदजाएवा डिल्डोरा और कमोला सोतिबोल्डिवाओ। उनकी मानें, तो उनके दिल में भारत बसता है। दोनों का भारत देश से लगाव कई वर्षों से हैं। इन्हें भारत और उज्बेकिस्तान की वेशभूषा, भोजन और भाषा में बहुत सी समानताएं दिखती हैं। इन्हें सबसे अच्छी बात यहां के लोगों का आपसी सौहार्द और भाईचारा बहुत अच्छा लगता है, जो इनका ध्यान भारत देश की ओर बार-बार खींचता है। डा.खोदजाएवा उज्बेक-इंडिया टूरिज्म एसोसिएशन की सीईओए जबकि कमोला उपाध्यक्ष हैं। वह सूरजकुंड में पर्यटकों को अपने देश की संस्कृति से रूबरू कराने के लिए आई हैं। दोनों की हिंदी भाषा में बहुत ही अच्छी कमांड है और बहुत हद तक शुद्ध हिंदी बोलती हैं।
हिंदी से विशेष लगाव
कमोला ने बताया कि वह पिछले 10 वर्षों से भारत में हैं। उन्हें हिंदी भाषा एवं यहां के लोगों का व्यवहार बहुत ही अच्छा लगता है। हिंदी सीखने के लिए कोई ट्यूशन या कोचिंग नहीं ली, बल्कि यहां स्वदेशी सहपाठियों के साथ रहते-रहते हिंदी बोलना सीख गई। भारत देश को विभिन्नताओं में एकता का प्रतीक वाला देश बताते हुए कमोला कहती हैं कि यही इस देश की विशेषता है। यहां पर हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सहित अन्य धर्मों के लोग सब साथ मिल कर रहते हैं। कमोला ने वर्ष 2014 में जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी उर्दू में मास्टर डिग्री हासिल की। डा.खोदजाएवा ने बताया कि उन्हें हिंदी भाषा से विशेष लगाव है। इसके चलते वर्ष 2002 में जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी से हिंदी में मास्टर डिग्री हासिल की और इसके बाद वर्ष 2005 में इंटरनेशनल रिलेशंस में एम.फिल की।