हरेंद्र रापड़िया/हप्र
सोनीपत, 10 अप्रैल
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के बैनर तले 11 अप्रैल से देशभर के किसान संगठन न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) गारंटी सप्ताह मनाएंगे। इसके तहत अलग-अलग जगहों पर धरना, प्रदर्शन और गोष्ठी के माध्यम से एमएसपी को किसान का कानूनी अधिकार बनाने की मांग पर जागृति अभियान चलाया जाएगा।
संयुक्त किसान मोर्चा समन्वय समिति के वरिष्ठ सदस्य दर्शनपाल सिंह ने रविवार को बताया कि नवंबर 2020 में दिल्ली में मोर्चे की शुरुआत के पहले से ही संयुक्त किसान मोर्चा ने न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी की मांग उठाई थी। इस मांग का अर्थ यह है कि एमएसपी केवल 23 फसलों के लिए नहीं, बल्कि फल, सब्जी और दूध, अंडा जैसे समस्त कृषि उत्पाद के लिए तय की जाए। एमएसपी की सिर्फ घोषणा न हो, बल्कि यह सुनिश्चित किया जाए कि हर किसान को अपने पूरे उत्पाद का कम से कम एमएसपी के बराबर भाव मिले। यह सरकार के आश्वासन और योजनाओं पर निर्भर न रहे, बल्कि इसे मनरेगा और न्यूनतम मजदूरी की तरह कानूनी गारंटी की शक्ल दी जाए।
दर्शनपाल ने कहा कि सरकार के साथ 11 दौर की वार्ता की हर चर्चा में इस मांग को दोहराया गया था। यह मांग भारत सरकार के किसान आयोग (स्वामीनाथन कमीशन) की सिफारिश, स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गुजरात के मुख्यमंत्री होते हुए दी गई रिपोर्ट और वर्तमान सरकार के दौरान कृषि लागत एवं मूल्य आयोग की सिफारिश के मुताबिक है। वर्ष 2014 के चुनाव में किसान को लागत का डेढ़ गुना दाम दिलवाने का वादा करने के बावजूद मोदी सरकार मुकर चुकी है।
संयुक्त किसान मोर्चा यह याद दिलाना चाहता है कि किसान विरोधी कानूनों को रद्द करने की घोषणा करते हुए 19 नवंबर 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एमएसपी और अन्य मुद्दों पर विचार करने के लिए एक समिति बनाने की घोषणा की थी। सरकार के 9 दिसंबर के आश्वासन पत्र में भी इसका जिक्र था मगर आज 4 महीने बीतने के बावजूद भी सरकार ने इस समिति का गठन नहीं किया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने इस भ्रांति का भी खंडन किया है कि इस सीजन में किसान को सभी फसलों पर एमएसपी से ऊपर दाम मिल रहे हैं। यूक्रेन युद्ध की वजह से गेहूं के दाम बढ़े, फिर भी अप्रैल के प्रथम सप्ताह में देश की अधिकांश मंडियों में गेहूं का दाम सरकारी एमएसपी 2,015 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक नहीं था।
यह संघर्ष भी जीतेंगे
दर्शनपाल ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा देशभर के किसानों और किसान संगठनों से अपील करता है कि 11 से 17 अप्रैल के बीच अपने अपने जिले में कम से कम एक कार्यक्रम का आयोजन अवश्य करें ताकि एमएसपी के सवाल पर राष्ट्रव्यापी आंदोलन की तैयारी शुरू की जा सके। मोर्चे ने यह विश्वास व्यक्त किया है की जैसे तीन काले कानूनों के खिलाफ लड़ाई जीती गई थी, उसी तरह हम एमएसपी की कानूनी गारंटी का संघर्ष भी जीतेंगे।