दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 26 मई
हरियाणा में शहरी स्थानीय निकायों –नगर परिषद व नगर पालिकाओं के चुनाव कांग्रेस भी सिम्बल पर लड़ सकती है। नगर परिषद चुनाव सिम्बल पर लड़ने की सहमति मोटे तौर पर बन गई है। नगर पालिकाओं में केवल अध्यक्ष पद के चुनाव सिम्बल पर लड़ने का निर्णय हो सकता है। बृहस्पतिवार को निकाय चुनावों को लेकर नयी दिल्ली में प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की हाई लेवल मीटिंग हुई।
हरियाणा मामलों के प्रभारी विवेक बंसल की अध्यक्षता में हुई बैठक में प्रदेशाध्यक्ष चौ. उदयभान, विपक्ष के नेता व पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा, राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला, पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव, पूर्व कैबिनेट मंत्री व तोशाम से विधायक किरण चौधरी, राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा, पूर्व स्पीकर कुलदीप शर्मा व अशोक अरोड़ा, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष धर्मपाल सिंह मलिक व फूलचंद मुलाना समेत ज्यादातर विधायक मौजूद रहे। बैठक में चारों कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष – जितेंद्र कुमार भारद्वाज, रामकिशन गुर्जर, श्रुति चौधरी व सुरेश गुप्ता के अलावा राष्ट्रीय सचिव आशीष दुआ, वीरेंद्र राठौर व प्रदीप नरवाल भी मौजूद थे। इस बैठक से पूर्व प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा तथा कांग्रेस वर्किंग कमेटी के विशेष आमंत्रित सदस्य कुलदीप बिश्नोई ने दूरी बनाकर रखी। बैठक में ज्यादातर विधायकों की राय चुनाव पार्टी चिह्न पर लड़ने की रही।
कुछ विधायकों ने तर्क दिया कि पालिकाओं में केवल अध्यक्ष पद का चुनाव सिम्बल पर लड़ा जाए। कुछ विधायकों ने यह भी कहा कि निकाय चुनावों तक पार्टी के संगठनात्मक चुनावों को टालना चाहिए। इसके पीछे दलील दी गई कि चेयरमैन पद के लिए एक से अधिक दावेदार मैदान में होने की सूरत में बाकी नेताओं को संगठन में एडजस्ट किया जा सकेगा। इससे बगावत की आशंका कम होगी। बाद में सर्वसम्मति से फैसला प्रदेश प्रभारी विवेक बंसल, भूपेंद्र सिंह हुड्डा व चौ. उदयभान पर छोड़ दिया।
सोनिया से मिले हुड्डा
बैठक से पहले पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की। उनकी इस मुलाकात को प्रदेश की दो राज्यसभा सीटों से जोड़कर देखा जा रहा है। हरियाणा विधानसभा में कांग्रेस के पास 31 विधायक हैं। इस हिसाब से दो सीटों में से एक भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार के खाते में जानी तय है और दूसरी पर कांग्रेस का मजबूत क्लेम है। अगर भाजपा ने दूसरी सीट के लिए भी प्रत्याशी मैदान में उतारा तो कांग्रेस की चुनौती बढ़ जाएगी। कुलदीप बिश्नोई के बागी तेवरों के चलते क्रॉस वोटिंग का खतरा भी लगातार बना हुआ है।